वन आरक्षी की भर्तियां एसआईटी में फंसी, वन दरोगा की भर्ती भी लटकी
उत्तराखंड के वन विभाग में नौकरी के लिए तैयारी कर रहे बेरोजगार अभ्यर्थियों का इंतजार लंबा होता जा रहा है। पहले वन आरक्षियों की भर्ती परीक्षा पेपर लीक और एसआईटी जांच में देरी के चलते लटक रखी है, तो वहीं अब वन दरोगा के पदों पर नए सिरे से अधियाचन भेजे जाने के चलते भी इंतजार लंबा हो गया है। उत्तराखंड में लंबे समय बाद वन आरक्षी की भर्ती परीक्षा हुई थी, लेकिन परीक्षा के दिन ही इस भर्ती पर भी भ्रष्टाचार का ग्रहण लग गया। पेपर लीक होने के चलते लंबे समय से इस परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे बेरोजगारों के सपनों पर पलीता लग गया।
अब इस भर्ती परीक्षा में पेपर लीक होने के कारण एक भी ऐसा परीक्षार्थी नहीं था जिसकी यह मांग ना रही हो कि इस परीक्षा को निरस्त करके दोबारा से परीक्षा कराई जाए, लेकिन सरकार ने बेरोजगार अभ्यर्थियों की बात न मानते हुए परीक्षा तो निरस्त नहीं की लेकिन इस पर एसआईटी जांच बिठा दी। पिछले चार माह से एसआईटी जांच का परिणाम भी सामने नहीं आ पाया है। जबकि एसआईटी जांच को 15 दिन में पूरा किए जाने के आदेश दिए गए थे।उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने जल्दी ही भर्ती परीक्षा की जांच सार्वजनिक करने की मांग की है। बहरहाल जांच लंबित होने के कारण वन आरक्षी की परीक्षा देने वाले बेरोजगारों का भविष्य अधर में लटक गया है। वन दरोगा के पदों पर पर भी ऐसा ही विवादों का साया मंडरा रहा है।
उत्तराखंड सरकार ने वन दरोगा के लिए 316 पदों के लिए भर्तियां निकाली इसके लिए 40000 से भी अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया लेकिन अब सरकार कह रही है कि वन दरोगा के लिए मात्र 29 पद ही खाली हैं। अब इन पदों के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थी सवाल उठाने लगे हैं कि क्या वाकई सिर्फ 29 पद ही खाली हैं या फिर अन्य पद भ्रष्टाचार से भरे जाने की तैयारी है! एक अहम सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि यदि पहले ही यह पता होता कि मात्र 29 पद है तो शायद इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थी आवेदन ही न करते। अब बेरोजगारों को लग रहा है कि वे आवेदन शुल्क के नाम पर ठगे गए हैं।
नितिन शेखावत नाम के एक अभ्यर्थी ने सवाल उठाया है कि “जब इतने पद खाली थे ही नहीं तो क्यों आवेदन करवाया ! इतने विद्यार्थियों से ! क्या उत्तराखंड सरकार और वन विभाग कितना कमजोर हो चुका है कि वह झूठी भर्ती निकालकर विद्यार्थियों की पैसे खाना चाहता है ! नितिन शेखावत कहते हैं कि वे यह नहीं होने देंगे। अब 316 पदों पर भर्ती होनी चाहिए वरना हम वन विभाग और उत्तराखंड सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।”
मुख्य वन संरक्षक कार्मिक मनोज चंद्रन इस मामले में सफाई देते हुए कहते हैं कि “अधियाचन में गलत संख्या भेज दी गई थी अब सीधी भर्ती पदों का दोबारा से आकलन कराया जा रहा है और जुलाई अंत तक रिक्त पदों की स्थिति साफ हो जाएगी। तब सही संख्या की गणना करके दोबारा सही अधियाचन भेजा जाएगा।”
मनोज चंद्रन का कहना है कि, “सब कुछ विभागीय सेवा नियमावली के अनुसार ही हो रहा है।” अहम सवाल यह है कि जब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग इन पदों पर भर्ती की प्रक्रिया लगभग पूरी कर चुका था तब बीच में ऐसा अड़ंगा लगने से भर्ती प्रक्रिया लेट हुई है। यदि पहले से ही इस पर स्थिति साफ कर दी जाती है तो भले ही 29 पदों पर की भर्ती होती लेकिन यह मामला व्यर्थ ना लटकता और ना ही इतने सारे अभ्यर्थी आवेदन करके अपना आवेदन शुल्क व्यर्थ जाने देते !