जनपद देहरादून के डाकपत्थर बैराज यानी हेड रेगुलेटर पुल की सुरक्षा व्यवस्था के मामले में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 29/11/1989 में उक्त क्षेत्र को अति संवेदनशील घोषित किया गया था तथा उसके क्रम में कई वर्षों तक दिन-रात पुलिस पिकेट तैनात रहती थी तथा उस पर आवाजाही लगभग प्रतिबंधित थी। यहां तक कि मोटर कार, बस, ट्रक इत्यादि का नंबर आवागमन का समय तक का हिसाब पुलिस द्वारा रखा जाता था, लेकिन विगत कुछ वर्षों से वहां से पुलिस पिकेट हटा ली गई।
जनसंघर्ष मोर्चा ने उक्त मामले पर जब गृह विभाग से जानकारी चाही गई तो गृह विभाग ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मामला पुलिस मुख्यालय उत्तराखंड से संबंधित है।
हैरानी की बात यह है कि, किसी अधिसूचित अति संवेदनशील क्षेत्र को बिना शासन की अनुमति के कैसे सुरक्षा विहीन किया जा सकता है। पुल की सुरक्षा व उसकी संवेदनशीलता के मामले में अभिसूचना विभाग तथा पुलिस खुद उक्त क्षेत्र को अति संवेदनशील मान चुका है। मोर्चा ने कहा कि, हजारों करोड़ की परियोजना को इस तरह बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा।