उत्तराखंड में भले ही ट्रांसफर सत्र शून्य हो लेकिन आबकारी महकमे में डीपीसी से पहले ट्रांसफर की तैयारी है।
मुख्यालय में बैठे एक अफसर अपने चहेतों को ला रहे दून
सिपाहियों के हितों पर कुठाराधात की तैयारी हुई पूरी
कांग्रेस काल के दो चर्चितों को लाया जा रहा है दून
सभी सिपाहियों की डीपीसी से पहले ऐसा क्यों किया जा रहा
उप आबकारी निरीक्षक पद पर दून लाने की तैयारी हुई पूरी।
चहेतों को दून लाने की योजना
राज्य में कोरोना बम फूट चुका है, सरकार ने ट्रांसफर सत्र शून्य कर दिया है, शराब ठेकों में शराब गायब है, ईडीपी लापता है। ठेकों पर सेल एक तिहाई रह गई है। लेकिन आबकारी महकमे में सलाहाकर की आड लेकर जमकर मनमानी चल रही है। सरकार की चुप्पी और भी चौंकाने वाली है कैमरा देखकर अफसर भाग रहे है लेकिन बोलने को तैयार नही है। आबकारी महकमे सबसे कमजोर समझे जाने वाले सिपाहियों की डीपीसी से पहले ही अपने चहेते विवादितों को दून लाने की तैयारी है।
टिहरी व उधमसिंहनगर जिले से इन्हे लाने की तैयारी है।इनकी लैडिंग तो पहले ही होनी थी लेकिन इनकी बात नही बन सकी है। शासन पहले ही आबकारी मुख्यालय के सामने सरेंडर हो चुका है ऐसे में पावरफुल मुख्यालय ही आबकारी महकमे की सरकार है। सूत्र बताते है कि कल ही मुख्यालय में इस ट्रांसफर के बाबत फाइल तैयार कर ली गई है।
ऐसी क्या आपाधापी है जो रातों रात फाइल तैयार हुई। क्या बंद पडे शराब ठेकों जिनसे राजस्व आना है उन्हे खुलवाने को लेकर भी क्या कोई चिंतित है।
क्या सीएम का सीएम के अपने आबकारी महकमे में भी चलेगा हंटर
बीतो दिनों अमनमणि पास प्रकरण के चलते ही सही अफसरों को हल्का किया गया। काम में कमजोर अफसरों को सरकार ने चलता कर योग्य अफसरों को मौका दिया गया। चैनल का कैमरा देख जवाब देने के बजाए भागने वाले अफसरों का आखिर शासन संज्ञान क्यों नही ले रहा है। राजस्व व ठेकों के हालात को लेकर कोई चिंता क्यों नही हो रही है।
ठेकों पर चुप्पी क्यों है
राज्य के आबकारी महकमे की विवादित पूरी तरह फेल हो चुकी नीति में जानकारी ये आ रही है कि उधमसिंहनगर में उठ चुके 8 ठेकों को सरेंडर किया जा चुका है। अन्य जिलो में कितने बंद चल रहे ठेकों को खुलवाने के क्या प्रयास किये जा रहे है इस विषय पर कोई बोलने को तैयार नही है।
ब्रांड शराब गायब ठेकों से
राज्य के आबकारी महकमे में वापसी कर चुका डेनिस गैंग जैसा इनके नाम से ही स्पष्ट हो चुका है। ईडीपी को लेकर इनकी कलाकारी के चलते बडी कंपनियों ने ओवरसीज ब्रांड रोक दिये है। जिनके फिलहाल आने की उम्मीद नही ही है। वहीं अच्छे ब्रांड की शराब भी फिलहाल ठेकों से गायब है।