रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी के पैरामेडिकल व नर्सिंग के कोर्स भी फर्जी : दैनिक अखबारों पर अभिभावकों का फर्जी विज्ञापन छापने का आरोप। कार्यालय महानिदेशक स्वास्थ्य ने RTI में दिया जवाब।
रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी के पैरामेडिकल व नर्सिंग के कोर्स भी फर्जी।
महानिदेशक स्वास्थ्य ने RTI में दिया जवाब।
देहरादून : पर्वतजन :
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत उत्तराखंड नर्सेज एंड मिडवाइव्स काउंसिल यानी कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक के कार्यालय से पता चला है कि सुभारती कालेज की तो पैरामेडिकल और नर्सिंग की मान्यता ही नही है, जबकि अखबारों मे इस कोर्स के विज्ञापन छाए पड़े हैं।
इस आरटीआई की प्राप्त जानकारी में महानिदेशक स्वास्थ्य सेवा निदेशालय उत्तराखंड, देहरादून द्वारा अपने पत्रांक संख्या नर्सिंग काउंसिल/ सूचना अधिकार / 7 / 2013 / 316 दिनांक 31 मई 2019 में अवगत कराया है कि रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय, नंदा की चौकी, देहरादून को पैरामेडिकल के पाठ्यक्रम एवं नर्सिंग कोर्स की मान्यता नहीं दी गई है।
यह है आरटीआइ
यानी कि उक्त रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय के अन्य सभी कोर्स भी फर्जी है तथा पिछले महीने से लगातार ही सुभारती द्वारा उत्तराखंड के प्रमुख दैनिक अखबारों के प्रथम पृष्ठ पर रोज विज्ञापन दिए जा रहे हैं जो विज्ञापन झूठे व फर्जी हैं जिस पर अभिभावक संघ ने मांग की है कि इन दैनिक अखबारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया जाए क्योंकि यह भी इस फर्जीवाड़े के सहयोगी है और इस क्राइम में शामिल है जो बिना मान्यता देखे पैसे कमाने की लालच में विज्ञापन छाप रहे है ।
अर्थात एक और बड़ा फर्जीवाड़ा कर छात्रों से मोटी फीस ऐंठ कर भागने की तैयारी चल रही है। तथा छात्रों अभिभावकों को गुमराह कर एक नया और बड़ा फर्जीवाड़ा एमबीबीएस के छात्रों की भांति कर दिया गया है ।
पर्वतजन को यह भी ज्ञात हुआ कि लगभग सैकड़ों छात्रों ने इन कोर्सों में एडमिशन ले लिए गए हैं जिनसे मोटी फीस धोखाधड़ी कर वसूल ली गई है।
महानिदेशक स्वास्थ्य के साथ-साथ निदेशक चिकित्सा शिक्षा के कार्यालय से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व आईजी गढ़वाल को स्पष्ट निर्देश दे दिए गए हैं कि इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के संबंध में क्या कार्रवाई की गई है ? इस पत्र की प्रति भी पर्वतजन को प्राप्त हो गयी है। तथा एसएसपी देहरादून व आई जी को रिमाइंडर भी दिया गया है ।
300 MBBS के छात्रो के फर्जी डिग्री व फर्जी पढ़ाने के मामले में अभी तक डबल इंजन चुप क्यों बैठा है ? कोई बड़ी कार्रवाई क्यों अब तक नही की गई ? क्या इस प्रकार की सुभारती जैसी फर्जी संस्थाए ऐसे ही छात्रो व अभिभावकों का उत्पीड़न करती रहेंगी और राज्य सरकार इनको संरक्षण देती रहेगी ?
तथा इन पैरामेडिकल के छात्रो का ठीकरा भी राज्य सरकार को झेलना पड़ेगा और तब भी जबकि संस्थान के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट मे फर्जीवाड़ा साबित कर चुकी है ।
जब मजबूरी में राज्य के 3 मेडिकल कॉलेजों में सुभारती के उन छात्रो को शिफ्ट करना पड़ा जबकि वो इसके हकदार ही नही थे व राज्य के पढ़ रहे अन्य छात्रों व काॅलेजों सहित राज्य के ऊपर भारी खर्च का दबाव पड़ा जबकि राज्य के पास वेतन देने को पैसे नही हैं तथा इसके बावजूद भी सुभारती के MBBS के छात्रों को शिफ्ट करना पड़ा ।
बहरहाल इस समय पैरामेडिकल में पढ़ रहे लगभग 200 छात्रों के ऊपर भी विपदा आ चुकी है और कल को राज्य सरकार को उन्हें भी अन्य मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट करना पड़ेगा। और सुभारती फिर नया फर्जीवाड़ा करके एक नया कोर्स खोल देगा जैसे कि किसी सरकारी व्यक्ति विशेष से पार्टनरशिप हो गई हो कि तुम चोरी करते रहो और मै बचाता रहूँगा और दोनों मिलकर खाते रहेंगे !
सबसे बड़ा सवाल यह है कि सुभारती एक के बाद एक फर्जीवाड़े व धोखाधड़ी कर इतने बड़े आपराधिक मामले किए जा रहा है और राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री व अन्य मंत्री सहित सभी अधिकारीगण मुंह पर ताला लगाए बैठे हैं।
देखना यह है कि सुभारती के सामने नतमस्तक व फेल हो चुकी डबल इंजन की सरकार के द्वारा भ्रष्टाचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है ? और कब ये अपराधी जेल की सलाखों के पीछे होंगे ?