उपनल के नाम पर दलालों की पौ बारह
रिपोर्ट- अनुज नेगी
देहरादून। प्रदेश सरकार कोरोना महामारी के इस दौर में प्रवासियों को रोजगार देने का कितना भी दावा कर ले मगर ज़मीनी हकीकत यह है कि,यब योजनाएं भ्रष्टाचार तक ही सीमित है। जिसके कारण प्रदेश में बेरोजगारी दर बढ़ती जा रही है, और उपनल की छवि धूमिल हो रही है।
प्रदेश सरकार ने कोरोना लॉकडाउन के बाद प्रवासियों को उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड (उपनल) के जरिये रोजगार दिलाने का वादा किया था, मगर उपनल के नाम पर कुछ लोगों ने धन उगाही कर प्रदेश सरकार की इस मेहनत पर पानी फेर दिया और उपनल को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया।
बता दें कि, उपनल के नाम पर दलालों ने कई लोगों से पैसे ऐंठने चालू कर दिए और यह साबित कर दिया कि, सिर्फ उन्ही लोगों को रोजगार मिलेगा। जिसकी ऊची पहुँच होगी और जो उपनल के भ्रष्ट चमचों को मोटी रकम चुका सकें, नहीं तो आप लोगों को उपनल सिर्फ और सिर्फ रजिस्ट्रेशन ही उपलब्ध करा सकता है।
बता दें कि, कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने प्रदेश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर बढ़ा दी। बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार ने प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उपनल में सभी के लिए रास्ता साफ कर दिया था, जबकि पूर्व में उपनल में भूतपूर्व सैनिकों व उनके बच्चों को रोजगार उपलब्ध कराया जाता था, जबकि हकीकत में उपनल में सिर्फ उपनल के दलालों के द्वारा चहेतों को रोजगार दिलाने नामक बन गया।
क्या सिर्फ चहितों को रोजगार उपलब्ध कराता उपनल
कोटद्वार के एक भूतपूर्व सैनिक के बेटे हरेंद्र सिंह नेगी पुत्र प्रेम सिंह नेगी का यह कहना है कि, वर्ष 2019 में मैंने किसी व्यक्ति को उपनल के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने के लिए 50 हज़ार रुपये दिए और उस व्यक्ति ने एक ही दिन में मुझे कोटद्वार फैमली कोर्ट में जज के साथ फोर्थ कर्मचारी में नियुक्ति दिला दी, जहां मैंने जज के साथ दो माह तक कार्य किया।
जबकि जज मेरे से घर और ऑफिस के सभी कार्य कराता था, जब जज द्वारा मुझे ज्यादा ही परेशान किया गया तो मैने वहा से नौकरी छोड़ दी, दूसरे ही दिन में देहरादून उपनल के कार्यलय पहुंचा।
जहां उपनल अधिकारियों ने मुझे दूसरे डिपार्टमेंट में नौकरी देने का भरोसा दिया जब एक वर्ष बीत गया तो मैंने उपनल में अपना रजिस्ट्रेशन करा दिया। मैंने सोचा प्रवासियों के साथ मुझे भी रोजगार मिल जायेगा, मगर आज तक उपनल कार्यालय से मुझे न तो रोजगार दिया गया न ही किसी प्रकार की सूचना दी गई।
जब कभी भी में उपनल देहरादून के कार्यालय में फोन करता हूँ तो मुझे हमेशा ये आश्वासन दिया जाता है कि, आपको मैल या फ़ोन किया जाएगा, जबकि उपनल ने अपने चहेतों को लॉकडाउन में रोजगार दिया और रोजगार दे रहा है। अब में उपनल रोजगार के लिए हतास हो गया हूँ।
वहीं पर्वतजन ने 20 ऐसे प्रवासी बेरोजगारों से बात की जिन्होंने रोजगार के लिए उपनल में अपना रजिस्ट्रेशन कराया है, जिसमे से कुछ लोग विकलांग है। सभी प्रवासी बेरोजगार लोगों का कहना है कि, उपनल सिर्फ भ्रष्टाचार का अड्डा है, जहां सिर्फ पैसों और ऊची पहुंच के दम पर रोजगार मिलता है और प्रदेश सरकार भी बेरोजगार प्रवासियों के साथ माजक कर रही है। जिसका खामियाजा भाजपा सरकार को 2022 में उठाना पड़ेगा।
आपको बता दें कि, उत्तराखंड में उपनल सरकारी व अर्ध सरकारी कार्यालयों में आउटसोर्सिंग के जरिये कर्मचारी उपलब्ध कराता है। वर्तमान में उपनल के जरिये प्रदेश में तकरीबन 22 हजार लोग कार्यरत हैं। जो विभागों में सिक्योरिटी गार्ड से लेकर कंप्यूटर ऑपरेटर व मैनेजर जैसी अहम जिम्मेदारियां भी संभाल रहे हैं।
पहले उपनल के जरिये पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के अलावा अन्य कुशल श्रमिकों की तैनाती की जाती थी। वर्ष 2016 में प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी कर इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया था। इसमें यह स्पष्ट किया गया था कि, उपनल केवल पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को ही रोजगार उपलब्ध कराएगा। वहीं इसी वर्ष त्रिवेंद्र सरकार ने सभी प्रदेशवासियों के लिए भी उपनल का रास्ता खोल दिया था।