कुमाऊं ब्यूरो विशाल सक्सेना
उत्तराखंड में शराब की ओवर रेटिंग अब आम बात हो चुकी है लेकिन ऐसा हमेशा नहीं था, जानकार बताते हैं कि जब से शराब के ठेकेदार और सेल्समैन के बीच पार्टनरशिप का चलन शुरू हुआ तब से ही शराब की दुकान पर शराब बेचने वाला सेल्समैन इस धंधे में पार्टनर ओवर रेटिंग के जरिए अपने मार्जिन बचाने का दस्तूर शुरू हुआ जो अब लगातार जारी है, जब तक ये जुगलबंदी अनुज्ञापी और सेल्समैन के बीच रहेगी तब तक कहना मुश्किल है कि शराब की ओवर रेटिंग रुक पाएगी।
शराब की दुकान पर काम करने वाले सेल्समैन को नहीं मिलती तनख्वाह :
जीएसटी डिपार्टमेंट के बाद उत्तराखंड का आबकारी विभाग ऐसा विभाग है जो कि प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देता है, ऐसे में एक तरह से देखा जाए तो आबकारी विभाग एक कमाऊ पूत की तरह है जो कि सरकार की झोली भरता है, लेकिन झोली भरने की आड़ में पीछे क्या-क्या होता है, शहर में शराब की ओवर रेटिंग हाल ही के सालों में बेतहाशा बढ़ी है, अब धीरे-धीरे शराब की हर एक दुकान पर एमआरपी से ₹10 या ₹20 अतिरिक्त लेना सामान्य बात हो चुकी है।
इतना ही नहीं ग्राहक भी अब केवल तब ही अपना विरोध दर्ज करवाता है जब उससे ज्यादा ओवर रेटिंग की जाती है शराब की एमआरपी पर 10,20 रु एक्स्ट्रा देना अब ग्राहक की आदत बन चली है क्योंकि ऑब्जेक्शन करने पर कुछ खास हासिल नहीं होता है, बताया जाता है कि शराब की यह ओवर रेटिंग तब से शुरू हुई है जब से शराब बेचने वाले सेल्समैन और लाइसेंसी धारक के बीच पार्टनरशिप होना शुरू हो गई, इसमें सेल्समैन को लाइसेंस धारी तनख्वाह पर नहीं बल्कि पार्टनरशिप में रखता है जिसमें सेल्समैन इसी ओवर रेट के जरिए अपना मुनाफा निकालता है।
लेकिन शराब व्यापारी अगर नियमों के विरुद्ध जाकर शराब को एमआरपी से ज्यादा मूल्य में बेचता है तो उसके लिए भी विभाग की ओर से इंफोर्समेंट की कार्रवाई का प्रावधान रखा गया है, ओवर रेटिंग को लेकर विभाग की ओर से यह नियम सुनिश्चित किया गया है, कि हर सर्कल का आबकारी निरीक्षक अपने सर्कल के 10 किलोमीटर तक के दायरे की सभी शराब की दुकानों पर महीने में दो बार और 10 किलोमीटर के दायरे से बाहर की दुकान पर महीने में एक बार औचक निरीक्षण करेगा, इस औचक निरीक्षण के भी तरीके सुझाए गए हैं, जिसमें कि सही तरीके से चेकिंग की जाए और अगर शराब की ओवर रेटिंग हो रही है तो उसे पकड़ कर कार्रवाई की जाए।
ओवर रेटिंग पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान :
आबकारी विभाग ने शराब की ओवर रेटिंग को लेकर लंबे चौड़े नियम बनाए हैं, अगर इनके आधार पर कार्रवाई की जाए तो ओवर रेटिंग होना बेहद मुश्किल है, आबकारी विभाग की ओर से निरीक्षण में पहली बार ओवर रेटिंग पकड़े जाने पर 50 हजार का जुर्माना है, जिसे शराब व्यापारी को हर हाल में भुगतना ही होगा, इसके बाद भी अगर वही शराब व्यापारी दोबारा ओवर रेटिंग में पकड़ा जाता है तो उस पर 75 हजार का जुर्माने का प्रावधान है, इसी तरह से तीसरी बार में 1 लाख और शराब व्यापारी फिर भी ओवर रेटिंग करता है और चौथी बार पकड़ में आता है तो तत्काल उसका लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान है इतने सख्त नियम होने के बावजूद भी शराब की ओवर रेटिंग लगातार जारी है, विभाग ने जब इतने सख्त नियम बनाए हैं तो आखिर धरातल पर इसका असर क्यों नहीं हो पा रहा है यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।