उत्तराखंड | जुलाई 2025
उत्तराखंड के एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले अतुल कुमार ने यह साबित कर दिया है कि कठिन मेहनत, समर्पण और जुनून के बल पर कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। आईआईटी जेएएम परीक्षा 2025 में अतुल ने ऑल इंडिया स्तर पर 649वीं रैंक हासिल कर अपने गांव, जिले और राज्य का नाम रोशन किया है।
अतुल कुमार रुद्रप्रयाग जिले की उप-तहसील बसुकेदार के वीरों देवल गांव के रहने वाले हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है और आजीविका के लिए पूरा परिवार केदारनाथ धाम में घोड़े-खच्चरों का संचालन करता है। अतुल खुद भी हर साल चारधाम यात्रा सीज़न के दौरान केदारनाथ धाम में खच्चर चलाते हैं और रोजाना 30 किलोमीटर पैदल सफर तय करते हैं।
संघर्षों भरी राह, लेकिन कभी नहीं मानी हार
अतुल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा GIC बसुकेदार से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल से बीएससी की पढ़ाई की। आर्थिक तंगी के चलते उन्हें कई बार पढ़ाई छोड़ने की नौबत आई, लेकिन उन्होंने अपने सपनों को मरने नहीं दिया।
चारधाम यात्रा के दौरान दिनभर पहाड़ों में घोड़े-खच्चर चलाने और 30 किमी तक पैदल चलने के बावजूद अतुल रात को 4-5 घंटे पढ़ाई के लिए निकालते थे। उनकी यही मेहनत रंग लाई और उन्होंने देश की प्रतिष्ठित IIT JAM परीक्षा 2025 में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
IIT मद्रास में करेंगे M.Sc गणित की पढ़ाई
अतुल की इस सफलता का सबसे खास पहलू यह है कि अब उनका चयन IIT मद्रास में हुआ है, जहां वे M.Sc गणित की पढ़ाई करेंगे। एक ऐसे छात्र के लिए यह किसी सपने के सच होने से कम नहीं, जिसने बचपन से ही जीवन की कठिनाइयों को देखा और झेला हो।
अतुल ने बताया कि उन्होंने 10वीं कक्षा में ही ठान लिया था कि वे एक दिन देश के शीर्ष संस्थान में पढ़ाई करेंगे। परिवार की जिम्मेदारियों के बीच पढ़ाई को संतुलित रखना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
संकल्प और संघर्ष की मिसाल
अतुल की सफलता उत्तराखंड के युवाओं के लिए एक मिसाल है। यह कहानी बताती है कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, अगर संकल्प मजबूत हो तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। अतुल का सपना केवल उनका नहीं था, बल्कि उन हजारों युवाओं के लिए उम्मीद की किरण है, जो संसाधनों के अभाव में अपने सपनों को अधूरा छोड़ देते हैं।
आज अतुल न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। उनकी कहानी इस बात का प्रमाण है कि असली ‘हीरो’ वही होते हैं जो संघर्षों से लड़कर जीतते हैं।