रिर्पोट : इंद्रजीत असवाल
खनन विभाग व तहसील प्रशासन के अधिकारी मौके पर गए तो क्या उनकी आंखों में आर सी सी चस्मा लगा था जो उन्हें नदी के अंदर पैक हुआ डम्फर नही दिखा या फिर क्षेत्र में उड़ती धूल नही दिखी। इससे लगता है कि केवल खानापूर्ति के लिए मोके पर गए थे अधिकारी और अपनी जेब गर्म करके वापस लौट गए ।
देहरादून विकासनगर के कैंचीवाला , रमसावाला सहित अन्य जगहों पर लगे स्टोन क्रेसरो की खबर पर सूत्रों से नई जानकारी कि प्रशासन व शासन को पहले ही मोटा जा रखा है जिस वजह से कोई ठोस कार्यवाही नही हो रही है।
मामला सही भी लगता है क्योंकि उपजिलाधिकारी विकासनगर ,जिलाधिकारी देहरादून , खनन अधिकारी पत्रिक जी के संज्ञान में मामला है। कई न्यूज चैनलों पर खबर चली,उपजिलाधिकारी खनन विभाग मोके पर पहुचे लेकिन कोई भी बड़ी कार्यवाही नही हुई।
उत्तराखंड का दुर्भाग्य है कि उत्तराखंड बनने के बाद से ही माफिया राज यहाँ शुरू हो गया । भू माफिया, वन माफिया, खनन माफिया इनका ही चारो ओर बोलबाला है और इन्हें राजनीतिक सरक्षण प्राप्त है जिसके कारण ये बेखोफ चल रहे हैं ।
अधिकारी कार्यवाही करना भी चाहता है परंतु मंत्री या सत्ता धारी पार्टी के गुर्गे अपनी धोंस दिखाकर उनकी बोलती बंद करा देते हैं ।
आप यदि विकासनगर तहसील क्षेत्र में देखे तो जगह जगह अवैध खनन ,भंडारण आदि धड़ल्ले से चल रहे हैं। रोज खबरे भी चल रही है परंतु मजाल क्या प्रशासन इन के पास भी फटक जाए।
इससे साफ लगता है कि चांदी के खनकते सिक्को की वजह से अधिकारी दफ्तरों से बाहर निकलने को तैयार नही है!