स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):- ऊत्तराखण्ड में महिलाओं के साथ हो रहे शोषण और दुष्कर्म को लेकर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में एक जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद के लिए तय की है।
देहरादून की समाधान संस्था की अध्यक्ष रेनू सरकार ने एक जनहित याचिका लगाकर न्यायालय से महिला उत्पीड़न रोकने के लिए प्रार्थना की है।समाधान संस्था की अधिवक्ता प्रभा नैथानी ने बताया कि उन्होंने न्यायालय से कहा कि रेप और महिला उत्पीड़न रोकने के लिए सरकार को तत्काल प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए जाएं। महिलाओं की सुरक्षा और खुशियों का ध्यान रखा जाए। कहा की निर्देश जारी कर सरकार को स्कूलों में प्रशिक्षित काउंसलर रख लड़के और लड़कियों को महिला उत्पीड़न रोकने के लिए तैयार करने के लिए प्रेरित किया जाए। हर स्कूल में योग्य काउंसलर हो और उनका डिटेल शिक्षा विभाग में उपलब्ध हो। जनहित याचिका में कहा गया है कि शिक्षा विभाग और स्कूल प्रबंधन ये सुनिश्चित करे कि जागरूकता कार्यक्रम जैसे नुक्कड़ नाटक और थिएटर नाटक को स्कूल और कॉलेजों समेत सार्वजनिक स्थलों में कराया जाए। महिला पुलिस की सार्वजनिक स्थल, स्कूल, बस और रेलवे स्टेशन, वन क्षेत्र समेत लड़कियों के स्कूल गेट पर तैनाती हो। प्रार्थना में कहा गया कि सरकार से कहा जाए कि सिविल सोसाइटी, एन.जी.ओ.और महिला अधिकार संगठनों के साथ समन्वय बनाकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाएं। इसमें, जनजागरण, सैल्फ डिफेंस ट्रेनिंग और सपोर्ट सर्विसेज के साथ यौन शिक्षा को अनिवार्य किया जाए। स्कूल के नोटिस बोर्ड में चाइल्ड सेफ्टी नंबर को निरंतर डिस्प्ले किया जाए। कहा गया है कि मीडिया हाउस और सोशल मीडिया के माध्यम से महिला हैल्पलाइन नंबर 1090/112 को प्रसारित और प्रचारित किया जाए। नागरिकों का एक प्लेटफॉर्म बनाकर उनके फीडबैक के आधार पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। सरकार से कहा जाए कि महिलाओं के फोन के लिए एक ऐप तैयार किया जाए जिसमें परेशानी के वक्त प्रशासन को आसानी से संदेश दिया जा सके। गृहकलह व अन्य झेल रही महिलाओं के लिए शैल्टर होम,
ने का निर्देश जारी किया जाए। साथ ही पिटाई य मानसिक उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के लिए साइकेट्रिस्ट और मैडिकल ऐड मुफ्त में उपलब्ध कराई जाए। ये भी कहा गया कि सरकार मोहल्लों में नारी सुरक्षा समिति का गठन कर महिला संगठन और एन.जी.ओ.समेत कानून प्रवर्तन को जोड़ा जाए।