आजादी के 75वेअमृतमहोत्सव के जश्न में “13 अगस्त से 15 अगस्त तक हर घर तिरँगा” फ़हराया जायेगा। जिसके लिये शासन -प्रशासन की औऱ से हर जगह प्रचार किया जा रहा है।
देश के नागरिकों को झंडे लगाने के लिये होर्डिंग,अख़बार, टी वी के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा रहा है (जो अच्छी बात है) परन्तु ,शासन -प्रशासन की तरफ से 15 अगस्त के बाद हर घर में लगे झंडों को संम्मान सहित निपटान कैसे किया जाएगा,ये प्रचार प्रसार नही किया जा रहा ।जो कि सोचनीय विषय है,जिससे ये आशंका बनी है कि 15 अगस्त के बाद हजारों लाखों झंडों का क्या होगा ,या तो ये सड़को में गलियों में फेंके हुए मिलेंगे या फिर कूड़े -कचरे में पड़े हुये मिलेंगे ।
जो कि हमारे राष्ट्र ध्वज का घोर अपमान होगा, इसी आशंका की वजह से गोरख अनुगामी संगठन
द्वारा निम्नलिखित कार्यालयों में 15 अगस्त के बाद झण्डे को अपमानित होने बचाने के लिये औऱ एवम उसका निपटान कैसे हो का सुझाव भेजा गया।
(1)प्रधानमंत्री भारत सरकार को सम्पूर्ण राज्यों के नगर पंचायत, नगर निगम एवम नगर पालिका को झण्डे के सम्मान के लिये एवम उचित तरह से *भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में उल्लिखित नियमों के अनुसार गंदे या फटे क्षतिग्रस्त राष्ट्रीय ध्वज का उचित तरीके से सम्मान के साथ निपटान करवाये”* का सुझाव भेजा । प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा हमारे सुझाव को मुख्यमंत्री कार्यालय उत्तराखंड को भेजा।मुख्यमंत्री कार्यलय उत्तराखंड द्वारा हमारे सुझाव के अनुपालन के लिये नगर निगम देहरादून को भेज दिया गया,नगर निगम द्वारा स्वास्थ्य नगर अधिकारी अविनाश खन्ना जी को इसकी जिम्मेदारी सौपी है।
(2) मुख्यसचिव/संस्कृति सचिव उत्तराखंड शासन को उत्तराखंड के समस्त जिलो के लिये झण्डे को अपमानित होने से बचाने के लिये ऊपरोक्त सुझाव भेजा गया जिसके अनुपालन के लिए मुख्य सचिव के पत्र को समस्त जिलो में भेज दिया गया ।
(3)जिलाधिकारी देहरादून को भी ऊपरोक्त सुझाव भेजा जिसमे यह भी सुझाव दिया कि ,नागरिकों को जागरूक करने के लिये झण्डे का अपमान ना करे एवम उचित निपटान कैसे करे उसके लिये होर्डिंग के माध्यम से भी अपील करे, इसके लिए जिलाधिकारी द्वारा C D O को पत्र भेज दिया, C D O,मेम से आज व्यक्तिगत रूप से मीटिंग हुई ,उनके द्वारा बताया गया कि आपके सुझाव को अखबारों के माध्यम से नागरिकों तक जागरूकता के लिये नागरिकों तक पहुचाया जायगा।
(4)महानिदेशक सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग को दिये गए सुझाव पर आज डॉ अपर निदेशक श्री अनिल चन्दोला जी से व्यक्तिगत मीटिंग हुई ,उनके द्वारा हमारे इस विशेषकर इस सुझाव *” *भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में उल्लिखित नियमों के अनुसार गंदे या फटे क्षतिग्रस्त राष्ट्रीय ध्वज का उचित तरीके से सम्मान के साथ निपटान करवाये”** को मुख्यमंत्री जी द्वारा जारी “हर घर झण्डे ” की अपील के नीचे अंकित करने के लिये कहा है।
क्षतिग्रस्त भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान के साथ निपटान कैसे करें
भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज को जलाने या दफनाने के दो तरीके हैं। यहां तक कि किसी भी प्रक्रिया को चुनते समय एक सख्त नियम का पालन करना पड़ता है।
झंडों को दफनाने के लिए, सभी क्षतिग्रस्त झंडों को लकड़ी के बक्से में इकट्ठा करें। इन्हें फोल्ड करके ठीक से रख दें। बॉक्स को जमीन में गाड़ दें। झंडे गाड़ने के बाद मौन का क्षण देखें। दूसरा विकल्प है झंडा जलाना। एक सुरक्षित जगह चुनें और इसे साफ करें। झंडे मोड़ो। आग लगाएं और ध्यान से झंडे को आग की लपटों के बीच में रखें। झंडों को बिना मोड़े या जलाए पहले जलाना और फिर उसमें आग लगाना अपराध है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि राष्ट्रीय ध्वज गर्व का प्रतीक है और इसका निस्तारण करते समय इसकी गरिमा को बनाए रखा जाना चाहिए। *स्रोत* -google से “क्षतिग्रस्त भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान के साथ निपटान कैसे करे” *15 अगस्त के बाद राष्ट्र ध्वज को अपमानित होने की संभावना से बचाने के लिए मेरे द्वारा विभिन्न विभागो को दिया गया सुझाव* ,(1) प्रिन्ट मीडिया के माध्यम से एवम मुख्य -मुख्य सड़को के किनारे लगे बड़े -बड़े होर्डिंग में “भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज को जलाने या दफनाने के दो तरीके को स्पष्ट रूप से लिखकर आम नागरिकों जागरूक करने का कष्ट ।(2) गांव में ग्राम पंचायत को शहरों में नगर निगम ,नगर पालिका को यह जिम्मेदारी दी जाए कि कोई भी नागरिक राष्ट्र ध्वज को सड़को में गलियारों में या गन्दी जगह फेंकर झंडे का अपमान न कर पाए,जो नागरिक स्वयं अपने पास ससम्मान
राष्ट्र ध्वज रखता हैं तो अच्छी बात है, नहीं तो गांव में ग्राम पंचायत , शहरों में नगर निगम ,नगर पालिका घर घर से झण्डे लेकर एक जगह सभी झण्डे का नियम अनुसार सम्मान के साथ निपटान करे