सलाहकार के आबकारी महकमे में लूट की नही डकैती की छूट
अब सेनेटाइजर लेकर बेच दिय़े एक नये नवेले डीईओ ने
पूरे प्रदेश में शराब तस्करी रडार पर सिर्फ रूडकी इंस्पेक्टर
आबकारी आयुक्त अपने आदेश भूले एक माह बाद फिर जागे
ये महज इत्तेफाक है या जीरो टॉलरेंस के ध्वजवाहक सीएम की मौन सहमति कि आबकारी महकमे में कुछ भी होता रहे कोई बोलने वाला नही है। सुनने और समझने में अधिक वक्त इसलिये नही लगता क्योंकि आदेश तो होते हैं लेकिन अमल के बजाए कुछ औऱ शुरु हो जाता है।
ठेकों में शराब का सच
राज्य में लॉक डाउन के बाद जिस प्रकार से शराब ठेकों से धडल्ले से शराब निकली बिकी और पकडी गई वो किसी से छिपा नही है। बार से लेकर शऱाब ठेकों से जिस शराब बोतल की पेटी के पांच हजार रूपये नही दिये जाते थे, उसकी बोतल 2 हजार रूपये में बेची गई। ये बिना अधिकारियों की जानकारी के हो गया हो औऱ ठेकेदारों से सांठगांठ न हो ऐसा हो नही सकता है।
आबकारी आय़ुक्त ने लॉक डाउन के आरंभ में ही 27 मार्च को एक पत्र जारी किया इसमें 31 मार्च को ठेकों के अवशेष स्टाक के निस्तारण का दावा किया गया लेकिन ऐसा नही हो सका। लिहाजा जमकर तस्करी हुई फिर आबकारी आयुक्त ने 20 अप्रैल और फिर 29 अप्रैल को आदेश जारी कर शराब तस्करी भंडारण व अवैध बिक्री रोकने का दावा किया। इससे ये भी साफ जाहिर होता है कि आबकारी आयुक्त के आदेशों को कितना गंभीरता से लिया जा रहा है।
प्रदेश में तस्करी रडार पर रुडकी।
हम किसी का समर्थन या पैरवी नही कर रहे लेकिन लापरवाही पर एक इंस्पेक्टर के खिलाफ लंबा चौडा पत्र बाकियों की अनदेखी या बचाने जैसा लगता है। चार दिन पूर्व रूडकी में करीब 160 शराब पेटियां पकडी गई थी। अभी तक स्टाक रजिस्टर से इसकी पुष्टि नही हुई है। ठेके पर सील लगी हुई भी मिली लेकिन इंस्पेक्टर रूडकी के खिलाफ तीन दिनो में जवाब मंगाकर निलंबित करने की तैयारी है। इसी दिन सहसपुर में 200 पेटी शराब पुलिस ने पकडी थी इस मामले का जिक्र आयुक्त के पत्र में नही है। इसके अलावा करनपुर नेहरू कालोनी राजपुर से लेकर पहाडों के बार जो शराब तस्करी के अडडे बने किसी भी मामले का जिक्र आबकारी आयुक्त के पत्र में न होना चौकाता है। सूत्र बताते है कि रूडकी में दून में तैनात एक इंस्पेक्टर या एक महिला इंस्पेक्टर के जाने की प्रबल संभावनायें है। लॉक डाउन में भी अपने लोगों को सेट करने का काम किया जा रहा है।
सेनेटाइजर बेच दिये साहब ने
प्रदेश में शराब ठेके क्या बंद हुए बच्चे की फीस जमा करने के लिये भी ठेकेदारों पर दबाव बनाया गया। अब नया कांड एक साहब के सेनेटाइजर मुख्यालय देने के बजाए बेंचने की चर्चायें है। गढवाल मंडल के एक अहम जिले में तैनात इस खाए पीए डीईओ ने फैक्ट्रियो में जाकर जाकर समाज सेवा के नाम पर सेनेटाइजर बटोरे एक फैक्ट्री से तो 1200 सेनेटाइजर लिये गये घुमा फिराकर बिल भी ले लिये और अपने ही जिले के मेडिकल स्टोर को बेंचकर पैसा एकठठा कर लिया। इससे गिरी हरकत नही हो सकती जहाँ लोग सेनेटाइजर से लेकर मास्क के लिये परेशान है गरीबों के पास पैसे नही है। इस संक्रमण काल में भी सलाहकार के वसूली भाई जमकर पैसे पर हंटर चलाकर अपनी तिजोरी भर रहे है।