दून अस्पताल में इमरजेंसी में दलाल सक्रिय हैं, वह मरीजों को गुमराह कर निजी अस्पतालों में ले जा रहे हैं।
अस्पताल प्रशासन इस तरह के दलालों को निष्क्रिय करने में नाकाम साबित हो रहा है।
जो मामला सामने आया है उसमें त्यागी रोड निवासी सुनील तिवारी की बाइक की दूसरी बाइक से टक्कर होने से पैर में चोट लगी ।
उन्हें दून अस्पताल इमरजेंसी में भर्ती कराया गया, यहां पीएमओ डॉ प्रशांत चौधरी की टीम ने प्राथमिक उपचार दिया ।
पैर में ज्यादा चोट होने और फटे होने की वजह से हड्डी रोग विभाग और सर्जरी विभाग के डॉक्टरों को बुलाने पर जांच शुरू की गई और बताया गया कि सर्जरी में डॉक्टर आएंगे।
लेकिन 1 घंटे से ज्यादा अधिक वक्त होने पर भी डॉक्टर नहीं आए तो यहां पर दलाल सक्रिय हो गये और बार-बार परिजनों के पास जाकर कहने लगे कि यहां पर रोजाना यही होता है और कभी भी वक्त पर डॉक्टर नहीं आते हैं आप अपना समय बर्बाद ना करें और तुरंत मरीज को प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाएं। इसके बाद परिजनों ने अफसरों से शिकायत की।
इसके बाद इमरजेंसी प्रभारी डॉ धनंजय डोभाल ने इस मामले को गंभीरता से लिया और डॉक्टरों को निर्देशित किया। उसके पश्चात उन्होंने मरीज सुनील तिवारी का एक्स-रे कर अग्रिम उपचार शुरू कर दिया ।
जब मामले को गंभीरता से लिया गया तो परिजनों से पूछे जाने पर परिजनों ने बताया कि ऐसे कई लोग आकर कह रहे थे कि अस्पताल की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। आप मरीज को तुरंत प्राइवेट अस्पताल में ले जाएं ,हम आपकी मदद करेंगे। इनमें से दो चार लोग खुद को स्टाफ का भी बता रहे थे ।
वहीं इमरजेंसी के कुछ डॉक्टरों एवं कर्मचारियों पर सांठगांठ के आरोप पूर्व में लगते आ रहे है।
अब प्रश्न यह उठता है कि आए दिन मरीजों को जिस प्रकार से दलाल गुमराह कर रहे हैं क्या इस पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई कार्यवाही की जाएगी भी या नहीं ।