स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने प्रेमी जोड़ों या दूसरे जोड़ों को सुरक्षा दिलाई जाने सम्बन्धित मामलों में डायरेक्टर जनरल आफ पुलिस(डी.जी.पी.)को निर्देश दिए हुए कहा कि अगर इन जोड़ो को उनके परिवार या अन्य किसी संघ, समुदाय, जाति धर्म के लोगों से खतरा उतपन्न हो रहा है और पुलिस को इसकी शिकायत की जाती है तो पुलिस बिना देरी किए उन लोगों के खिलाफ तुरन्त मुकदमा दर्ज करें।
न्यायालय ने अपने आदेश में डायरेक्टर जनरल आफ पुलिस को यह भी निर्देश दिए हैं कि इस सम्बंध में प्रदेश के सभी थानों के लिए एक सर्कुलर भी जारी करें।
यह आदेश न्यायालय ने नैनीताल की एक विवादित सम्पति के मामले में 17 नवम्बर को दिया था, जिसमे पुलिस द्वारा एक पक्ष की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया लेकिन दूसरे पक्ष की शिकायत पर नही।
जब यह मामला न्यायालय के सम्मुख गया तो मल्लीताल के कोतवाल को न्यायालय में उपस्थित होने के आदेश हुए।
कोतवाल, न्यायालय के आदेश होने के बावजूद पेश नहीं हुए और अपना मोबाइल नॉट रिचेबल कर दिया। जिसपर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए डी.जी.पी.को न्यायालय में पेश होने को कहा।
डी.जी.पी.इस मामले में कोर्ट में पेश हुए उन्होंने न्यायालय को बताया कि यह पुलिस की लापरवाही है और इसी लापरवाही के चलते उन्होंने कोतवाल को निलंबित कर दिया है।
न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि पुलिस अपने कर्तव्यों का पालन ठीक ढंग से नही कर रही है,जिसके परिणाम स्वरूप प्रेमी जोड़े आये दिन उच्च न्यायलय में सुरक्षा के लिए प्रत्येक दिन दस से पन्द्रह सुरक्षा दिलाए जाने सम्बन्धि याचिकाएँ दायर कर रहे है, जबकि याचिकाएँ दायर करने से पहले उनके द्वारा सुरक्षा के लिए एस.एस.पी.और संबंधित थानों को प्रार्थना पत्र दिया जाता है। न्यायालय के आदेश के बाद ही उनको सुरक्षा दी जाती है। ऐसे वादों को थानों से निबटाया जा सकता है।