सतीश डिमरी, गोपेश्वर (चमोली)
नगर में कई गलियों एवं मार्केट के आस पास सफाई का अभाव देखा जाता है, जहां तक पालिका की नजर नहीं जा पाती है। इसी के साथ नगर में अव्यवस्थित दुकानें भी देखी जा सकती है, जिसमें जनता की शिकायत बनी रहती है, लेकिन पालिका इस ओर ध्यान देती नजर नहीं आती है।
अव्यवस्थि दुकानों में मीट/मांस की दुकानें देखी जा सकती है, जो कि आम रास्ता है, वहीं लोग मंदिर के साथ ही हॉस्पिटल के लिए भी जाते है ।
मांस के अंश नालों में एवं रास्ते में देखे जा सकते है, जनता यह देख कर खासे परेशान रहती है, कई बार पालिका को भी अवगत कराया गया, लेकिन यह पालिका की लापरवाही माने की आम रास्ते में इस तरह की दुकानों को कैसे आवंटित की जाती है, जो कि नियमानुसार एवम पर्यावरण की सुरक्षा की दृष्टि में भी ठीक नहीं है।
एक तरफ मा. प्रधानमंत्री जी का स्वच्छता अभियान नमामि गंगे के तहत नदी को स्वच्छ रखना है के कार्यक्रम जनता में जन जागरूकता नुक्कड़/ नाटकों के माध्यम से चल रहे है। दूसरी तरफ देखें तो यह मानवीय स्वास्थ्य की दृष्टि से भी विपरीत है।
इसी तरह धार्मिक भावना का भी ध्यान दिया जाए तो पालिका को आम रास्ते में, कौन सी दुकान किसको आवंटित हो यह भी ध्यान रखना चाहिए। यह समस्या भले करणप्रयाग की ही नहीं सम्पूर्ण उत्तराखंड की भी हो सकती।
मीडिया की नजर में यह संवेदन शून्य आवंटन मान सकते हैं, जिसमे कि लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखा जा रहा है, जबकि मीट मार्केट आम मार्केट से दूर होना चाहिए, क्योंकि कभी कई दिनों का मांस के साथ नालों पड़े अंश दुर्गन्ध फैलाते हैं तो यह कई लोगों को बीमार करने का कारण बन सकता है।
इसी के साथ वार्षिक भवनकर समीक्षा करने पर भी अधिशासी अधिकारी जी से जानकारी ली गई। नगर पालिका अध्यक्षा जी ने नगर को व्यवस्थित करने की जानकारी दी, जिसमें शीघ्र ही मीट मार्केट मीन मार्केट से दूर होगा, जिसमें आम जनता को कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके लिए वे प्रतिबद्ध है।
अधिशासी अधिकारी जी ने भी कहा हमारा उद्देश्य नगर को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाने का है।