स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड के नैनीताल में पिरूल को जंगलों से उठाने के कारण इस वर्ष आग की बेहद कम घटनाएं देखने को मिल रही हैं । जंगलों से उठाए गए पिरुल से बड़ी बड़ी फैक्ट्रियों का ईंधन तैयार होगा जिससे ग्रामीणों को शुद्ध आय होगी ।
उत्तराखंड के पहाड़ों के जंगलों में चारों तरफ सबसे अधिक मात्रा में चीड़ के पेड़ देखने को मिलते हैं । इन पेड़ों से पिरूल गिरता है, जो वनाग्नि को धधकने में योगदान देता है । ऐसे ही चारों तरफ पड़ा पिरूल न तो जंगल में अपने अलावा कोई दूसरी उपज को उगने देता है और न ही खुद किसी काम आता है । नैनीताल वन विभाग ने एक योजना चलाकर ग्रामीणों से पिरूल एकत्रित कराया और उन्हें तोलकर उसका चार रुपया प्रति किलो भुगतान कर दिया । विभाग ने इस पिरूल को लालकुआं की पेपर मिल के साथ एम.ओ.यू.कर उसे उपलब्ध करा दिया । वहां ये पिरूल ईंधन के रूप में काम आ गया ।
अब नैनीताल जिले के पहाड़ों से पिरूल उठने के बाद जंगलों में आग फैलनी और धधकनी बन्द हो गई । इससे जिले में आग की घटनाएं लगातार कम होती चली गई । डी.एफ.ओ.बीजू लाल टी आर ने बताया कि इस वर्ष आग की घटनाएं पूरी तरह से काबू में हैं । एक दो घटनाओं के अलावा कोई बड़ी घटना नहीं है और इनपर भी विभाग काबू कर ले रहा है । आग कम लगने का मुख्य कारण जंगलों से पिरूल का उठना है । पिछले वर्ष इस माह में वायुसेना के हेलीकॉप्टर मंगवाए गए थे । डी.एफ.ओ.ने बताया कि पिछले वर्ष जंगल 4 अप्रैल से 20 अप्रैल तक भयंकर आग की चपेट में थे । ये आग बरसात पड़ने के बाद ही बुझी थी ।