देहरादून:
उत्तरप्रदेश ने 2017 में जिस कंपनी को ब्लैकलिस्टिड कर दिया हैं,उसी कंपनी को उत्तराखंड धड़ल्ले से परीक्षा दर परीक्षा आयोजित कराने का मौका दे रहा हैं ।
उत्तराखंड की सरकार उत्तराखंड के युवाओं के साथ लगातार खिलवाड़ करती आ रही हैं ।
जानिए पूरा मामला :
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने ऑनलाइन भर्ती परीक्षा के लिए NSEIT एजेंसी को अनुबंधित किया हैं । NSEIT एजेंसी को 2017 में उत्तरप्रदेश में सब इंस्पेक्टर की परीक्षा में धाँधली के आरोप में ब्लैकलिस्टिड कर दिया गया था। और हाल ही में मध्यप्रदेश में करवाई कृषि विकास अधिकारी की ऑनलाइन परीक्षा में भी घोटाला होने के संकेत हैं जिसकी जांच भी वहां की सरकार ने शुरू करा दी है।
अब एक एजेंसी की इस तरह की छवि होने की बावजूद उसे उत्तराखंड में धड़ले से परीक्षा दर परीक्षा आयोजित कराने का मौका देना सरासर उत्तराखंड के युवाओं के भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ होना हैं ।
उत्तराखंड में भी इस एजेंसी द्वारा आयोजित कराई जा रही परीक्षा में भ्रष्टाचार और घूस देने का ऑडियो वायरल हो चुका है।
धामी सरकार और आयोग की नींद तोड़ने और युवाओं के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोकने के लिए अब बेरोज़गार युवाओं ने खुद से आवाज बुलंद कर दी है।
एजेंसी NSEIT को ऑनलाइन भर्ती के लिए अनुबंधित करने के खिलाफ सोमवार को उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष एस राजू और सचिव संतोष बड़ोनी के खिलाफ थाना रायपुर में शिकायत दी है।
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के प्रदेश अध्यक्ष बॉबी पंवार ने आरोप लगाया कि UKSSSC द्वारा आनलाइन परीक्षा करवाने का ठेका ब्लैकलिस्टेड एजेंसी NSEIT को दिया है जो कि उत्तराखंड के लाखों बेरोजगारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
पंवार ने कहा कि, उत्तरप्रदेश में आयोजित 2017 में सब इंस्पेक्टर की परीक्षा में NSEIT ने बड़े स्तर पर धांधली करवाई थी जिस कारण उत्तर प्रदेश में उक्त एजेंसी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था।
हाल ही में मध्यप्रदेश में व्यावसायिक शिक्षा मंडल ने कृषि विकास अधिकारी की ऑनलाइन परीक्षा करवाने का जिम्मा NSEIT को दिया था, जिसमें बड़े स्तर पर अनियमितताएं व भ्रष्टाचार उजागर हुआ और इसे दूसरे व्यापमं घोटाले के तौर पर देखा जा रहा।
NSEIT द्वारा कराई गई म० प्र० कृषि विकास अधिकारी परीक्षा में 10 टॉपर्स ने एक ही, ग्वालियर के राजकीय कृषि कॉलेज से बीएसपी की थी और सबने एक जैसे मार्क्स हासिल किए ग़लतियाँ भी एक जैसी ही की। यानी सबके सही सवाल भी एक और गलत जवाब भी एक जैसे।
एक खास बात यह भी कि इन टॉपर्स ने 8 साल में बीएसपी की डिग्री पूरी की और सांख्यिकी विषय में चार बार फेल होने के बावजूद भर्ती परीक्षा में मैथ्स में फ़ुल मार्क्स हासिल कर लिए।
हालाँकि NSEIT एजेंसी ने इसे महज संयोग बताया। पर यह संयोग इस रूप में भी सामने आया कि 10 के 10 टॉपर्स एक ही चंबल क्षेत्र से आते हैं और 10 में से 9 एक ही जाति से हैं। परिणामस्वरूप मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस एजेंसी के विरुद्ध जांच के आदेश दिए और जांच अभी गतिमान है।
बेरोजगार संघ के प्रवक्ता नरेंद्र सिंह रावत ने आरोप लगाया कि हमें इस बात का भी संदेह है कि UKSSSC ने ऑनलाइन परीक्षा आयोजित कराने हेतु ऐसी एजेंसी के चयन में स्वच्छता एवं पारदर्शिता बरती हो क्योंकि यह समझ से परे है कि उत्तराखंड सरकार और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ऐसी क्या मजबूरी थी कि एक दागी एजेंसी को बिना उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की खोजबीन किए अनुबंधित किया गया।
वहीं बेरोजगार संघ के संयोजक अम्ब्रेश शर्मा का कहना है कि, इस एजेंसी ने अपने पृष्ठभूमि तथा चरित्र के अनुसार लेखा लिपिक परीक्षा ( पद कोड 259/27/2020 ) ऑनलाइन आयोजित की जिसके परिणाम पर चौतरफा प्रश्न उठ रहे हैं। जबकि वन दरोगा के संदर्भ में परीक्षा से पूर्व का एक ऑडियो वायरल हुआ जिसमें स्पष्ट रूप से परीक्षा में उत्तीर्ण करवाने के एवज में लेन-देन की बात सामने आई है। जबकि कुछ परीक्षा केंद्रों पर परीक्षार्थियों ने खुल्लम-खुल्ला नकल कराने के विरुद्ध विरोध भी दर्ज किया था। संभवतः सरकार ने तथा UKSSSC में बैठे कुछ रसूखदार अपने लोगों को फायदा पहुंचाने का घृणित प्रयास कर रहे हैं जो कि उत्तराखंड के लाखों बेरोजगारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है तथा उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
बेरोजगार संघ ने कहा है कि ऐसे कारनामों को बिल्कुल भी सफल नहीं होने दिया जाएगा और इस भ्रष्टाचार के खिलाफ अंतिम छोर तक लड़ाई लड़ी जाएगी।
देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि धामी सरकार बस बैठे सब कुछ देखती रहेगी या उत्तराखंड के युवाओं के लिए आगे आकर इस एजेंसी पर एक्शन लेगी ।