रिपोर्ट – विजेंद्र राणा
देहरादून का दिल कहा जाने वाला फोर्टिस अस्पताल पिछले 11 वर्षों से उत्तराखंड में गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को विश्वस्तरीय सेवाएं दे रहा है।
फोर्टिस अस्पताल आयुष्मान, बीपीएल, एनआरएचएम के के माध्यम से हृदय के विभिन्न प्रकार की जटिल चिकित्सा कर रहा है,जिसके लिए प्रदेशवासियों को पहले दिल्ली जाना पड़ता था।
इसी साल मार्च में फोर्टिस अस्पताल का अनुबंध समाप्त हो रहा है।इस अनुबंध के खत्म होने से पहले ही स्वास्थ्य विभाग ने नए टेंडर आमंत्रित कर मेडिट्रिना नाम के अस्पताल का चयन कर लिया है,किंतु खास बात यह है कि चयन के साथ ही संबंधित संस्था तथा स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारियों पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं।
केरल के मेडिट्रिना अस्पताल के ऊपर अन्य राज्यों में वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप तथा मरीजों के इलाज में गंभीर लापरवाही के कारण लाइसेंस तक रद्द किए गए।
एक रिपोर्ट के अनुसार इस अस्पताल की एक यूनिट में 5 माह में कैथ लैब 24 मरीजों की मृत्यु दर्ज की जो बहुत ही आश्चर्यजनक है।
इसके अलावा आयुर्वेदिक डॉक्टर से आईसीयू में ड्यूटी कराई जाती है।इतने गंभीर आरोप होने के बाद भी इस संस्था को टेंडर दिए जाना उत्तराखंड के स्वास्थ्य अधिकारियों बड़े सवाल खड़े करता है।