देहरादून | नीरज उत्तराखंडी
उत्तराखंड में सहायक अध्यापक (LT) भर्ती परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिलने में लगातार हो रही देरी के खिलाफ चयनित युवाओं ने अब विरोध का रास्ता अपनाया है। चयनित अभ्यर्थियों ने 16 अप्रैल से देहरादून स्थित माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि सहायक अध्यापक (LT) के कुल 1317 पदों के लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा 18 अगस्त 2024 को परीक्षा आयोजित की गई थी। इसके बाद 24 अगस्त को उत्तर कुंजी जारी हुई और प्रत्यावेदन मांगे गए। लेकिन एक याचिका के चलते भर्ती प्रक्रिया न्यायालय में उलझ गई।
जानकारी के अनुसार, कुछ गेस्ट टीचरों द्वारा कोर्ट में वेटेज को लेकर याचिका दायर की गई, जिस पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने भर्ती प्रक्रिया पर स्थगन (स्टे) आदेश जारी कर दिया था। करीब तीन माह तक यह मामला कोर्ट में लंबित रहा, लेकिन डबल बेंच ने स्थगन हटाते हुए 10 जनवरी 2025 को परीक्षा परिणाम घोषित करने का आदेश दिया। इसके बाद आयोग ने अंतिम उत्तर कुंजी भी जारी कर दी, जिसमें विशेषज्ञों के सुझावों के आधार पर कुछ संशोधन किए गए।
आयोग ने चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेज़ों का सत्यापन कर 9 फरवरी को अंतिम सूची भी जारी कर दी। लेकिन इसके बाद कुछ असंतुष्ट अभ्यर्थियों ने उत्तर कुंजी को लेकर पुनः न्यायालय की शरण ली, जिससे अब नियुक्ति प्रक्रिया एक बार फिर कानूनी दांवपेंचों में उलझ गई है।
इस देरी से परेशान चयनित अभ्यर्थी पिछले कई महीनों से मानसिक तनाव में हैं। उनका कहना है कि वे सात-आठ महीने से लगातार इस भर्ती प्रक्रिया में लगे हुए हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई। अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार न तो उचित पैरवी कर रही है और न ही भर्ती प्रक्रिया को शीघ्र संपन्न कराने के लिए गंभीर है।
धरना दे रहे अभ्यर्थियों – जगदीश रावत, अजय जोशी और विमल देवरारी ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक यह धरना अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा।
चयनित अभ्यर्थियों की मुख्य मांगे:
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सरकार कोर्ट में स्टे हटवाने के लिए शीघ्र स्टे वैकेशन याचिका दायर करे।
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चयनित अभ्यर्थियों की पैरवी महाधिवक्ता स्तर से कराई जाए।
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सभी चयनित अभ्यर्थियों को शीघ्रातिशीघ्र नियुक्ति दी जाए।
चयनित अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव को कई बार ज्ञापन सौंपे हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकलने पर उन्होंने अब आंदोलन का रास्ता चुना है। अभ्यर्थियों की मांग है कि सरकार इस मामले में तत्परता दिखाए और उन्हें जल्द से जल्द नियुक्ति प्रदान की जाए, ताकि उनका भविष्य अंधकार में न डूबे।
यह मामला अब न केवल चयनित युवाओं के भविष्य से जुड़ा है, बल्कि प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की गंभीरता पर भी सवाल खड़े कर रहा है।