देहरादून जो हर दिन तेजी से बढ़ रहा है, अपनी बुनियादी जरूरतों में पिछड़ता जा रहा है। शहर के लिए बनाए गए करोड़ों रुपए के सीवर नेटवर्क में भारी तकनीकी खामियां और लगभग 80 करोड़ के भ्रष्टाचार की रिपोर्टें सामने आई हैं, जिनसे न सिर्फ आम जनता बल्कि देहरादून आईएसबीटी आने वाले बाहरी राज्य के लोगों के लिए भी गंभीर समस्याओं की जड़ बना हुआ है। खासकर उत्तराखंड अर्बन सेक्टर डेवलपमेंट एजेंसी (यूयूएसडीए) की लापरवाही और भ्रष्टाचार ने इस परियोजना को नाकाम और अपूर्ण छोड़ दिया है।
हालांकि ये भ्रष्टाचार का बजट 58 करोड़ भी हो सकता था लेकिन यूयूएसडीए ने इसे बढ़ाकर 80 करोड़ कर दिया। और अब जो मरम्मत पर करोड़ों खर्च होंगे वो अलग।
आईएसबीटी क्षेत्र में सीवर लाइन की दुर्दशा
आईएसबीटी के पास की सीवर लाइन की जाम हालत के कारण इलाके में जलभराव और गंदगी का संकट बढ़ गया है। जल संस्थान पिछले दो महीनों से इस समस्या को सुलझाने की कोशिश कर रहा है।
जल संस्थान के अधिशासी अभियंता सतीश चंद्र नौटियाल ने बताया कि यूयूएसडीए द्वारा निर्मित सीवर नेटवर्क में कई कॉलोनियों की लाइन अधूरी छोड़ दी गई हैं, जिससे कई कॉलोनियों का सीवर मुख्य चैम्बर से जुड़ा नहीं है। यूयूएसडीए ने जल संस्थान को सीवर नेटवर्क का काम पूरा करने के बाद 2018 में जल संस्थान को सौंपा था।जिसके बाद लगातार इसमें खामियां दिखाई दी हैं।
पाइपों का आकार और प्रकार असंगत है — 700 एमएम व्यास की मुख्य आरसीसी लाइन के भीतर 300 एमएम व्यास के पाइप डाल दिए गए हैं, जिससे नेटवर्क में जाम और ओवरफ्लो की स्थिति बनी हुई है। इस गड़बड़ी के कारण सीवर लाइन अक्सर जाम हो जाती हैं और ओवरफ्लो के कारण गंदगी चारों ओर फैलती है और सीवर सड़कों पर बहता हैं।
साथ ही यूयूएसडीए द्वारा निर्मित सीवर नेटवर्क में कई कॉलोनियों की लाइन अधूरी छोड़ दी गई हैं, जिससे कई कॉलोनियों का सीवर मुख्य चैम्बर से जुड़ा ही नहीं ।
साथ ही सीवर लाइन के पाइपों के बीच में गैप छोड़ कर बोल्डर और लोहे के पाइपों से भरा गया। जो बिल्कुल ही गलत और काम खत्म करने के लिए केवल खानापूर्ति ही हैं। उन्होंने बताया कि इसे सुधारने के लिए लगातार काम जारी हैं जिसे एक सप्ताह के अंदर ठीक कर लिया जाएगा।
अधूरी और त्रुटिपूर्ण पाइपलाइनें: कॉलोनियों में संकट
यूयूएसडीए ने जो 86 किलोमीटर का सीवर नेटवर्क बनाया, उसमें कई कॉलोनियों की लाइनों को मुख्य नेटवर्क से जोड़ा ही नहीं गया। संधु एन्क्लेव, श्रद्धा एन्क्लेव और प्रियदर्शिनी एन्क्लेव जैसे इलाकों में सीवर लाइन अधूरी छूटी हुई है, जिससे कॉलोनियों में जलभराव, गंदगी और ओवरफ्लो की समस्या रोजमर्रा का हिस्सा बन गई है।
यूयूएसडीए द्वारा किए गए कार्यों में पाइपलाइन के साइज की भी जालसाजी सामने आई है। 700 एमएम व्यास की मुख्य आरसीसी सीवर लाइन के भीतर 300 एमएम व्यास के पाइप डाल दिए गए हैं, जिससे सीवर नेटवर्क बाधित हो रहा है और कई जगह ओवरफ्लो या जाम होने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
करोड़ों की बर्बादी और भ्रष्टाचार
यूयूएसडीए को एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) से हजारों करोड़ रुपये के ऋण प्राप्त हुए हैं। यह राशि विकास कार्यों में खर्च होनी थी, लेकिन इस परियोजना में हुए भारी भ्रष्टाचार और लापरवाही ने न केवल करोड़ों की बर्बादी की, बल्कि आम जनता के जीवन को भी प्रभावित किया।
जल संस्थान की रिपोर्टों के अनुसार, यूयूएसडीए ने तकनीकी मापदंडों और गुणवत्ता मानकों की अनदेखी की है। कालोनियों की सीवर लाइनें ठीक से न जोड़ने के साथ-साथ, कई जगह सीवर लाइन गलत तरीके से बिछाई गई हैं। इससे न केवल सिस्टम बाधित हुआ है, बल्कि मरम्मत पर भी भारी धनराशि खर्च हो रही है।
सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में क्षमता से कम सीवर प्राप्त होना
कारगी स्थित 68 एमएलडी क्षमता वाले सीवर ट्रीटमेंट प्लांट पर केवल 20-22 एमएलडी सीवर पहुंच रहा है। इसका मुख्य कारण अधूरी और गड़बड़ सीवर लाइन नेटवर्क है। इसके कारण प्लांट की क्षमता का सदुपयोग नहीं हो पा रहा, जबकि शहर में कई इलाकों में गंदगी और सीवर के ओवरफ्लो से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। इसके साथ ही ये जितना भी सीवर सिस्टम हैं इसमें अपनी कारगुज़ारी छुपाने के लिए यूयूएसडीए ने गंदे सीवर के पानी को छुपाने के लिए उस पानी को बाईपास करते हुए कई नालो में छोड़ दिया, जिसके बाद वो नदियों में मिल रहा हैं।
डीएम सविन बंसल का कड़ा रुख
इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जिला मजिस्ट्रेट सविन बंसल ने कहा है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने प्रशासन और संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे यूयूएसडीए की लापरवाही की गहन जांच करें और सुधार के लिए तत्काल कदम उठाएं।
डीएम कार्यालय को भेजी गई रिपोर्ट में कई गंभीर तकनीकी खामियां, अधूरी सीवरलाइनें, भ्रष्टाचार के संकेत और भ्रष्टाचार से प्रभावित क्षेत्रीय विकास के मुद्दे शामिल हैं।
यूयूएसडीए की जवाबदेही और आगे का रास्ता
यूयूएसडीए की कार्यप्रणाली और लापरवाही पर सवाल खड़े होते हुए, जल संस्थान ने सभी दोषों की पहचान कर सुधार के लिए बजट और योजना बनाने की पहल शुरू की है। जल्द ही अधूरी सीवरलाइनें पूरी की जाएंगी, कालोनियों को मुख्य नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, और पंपिंग स्टेशन के निर्माण के लिए इस्टीमेट तैयार किया जाएगा।
इसके साथ ही प्रशासन से मांग की जा रही है कि यूयूएसडीए की सम्पूर्ण परियोजनाओं की गहन जांच कर भ्रष्टाचार और लापरवाही के दोषियों को जिम्मेदार ठहराया जाए।
देहरादून जैसे तेजी से विकसित हो रहे शहर के लिए एक मजबूत और प्रभावी सीवर नेटवर्क आवश्यक है। लेकिन यूयूएसडीए द्वारा किए गए काम में भ्रष्टाचार, घटिया निर्माण और लापरवाही ने इस बुनियादी जरूरत को संकट में डाल दिया है।
अब जिम्मेदारी प्रशासन की है कि वे जनता को इस कुप्रबंधन से राहत दिलाएं और परियोजना को सफल बनाने के लिए कठोर कदम उठाएं।