कई आपदा पीड़ित गांव में अब तक भी नहीं पहुंची सरकार और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को नुकसान बता दिया 175 करोड़ !!
आप के लोकप्रिय न्यूज़ पोर्टल पर्वतजन के पाठकों की प्रतिक्रियाओं का कल इतना असर तो जरूर रहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने घोषित दौरे को छोड़कर के गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करके उन्हें राज्य के हालात का ब्यौरा देना पड़ा।
अमित शाह की बजाय जेटली की कुशल क्षेम का था डे प्लान
कल मोरी के आपदा पीड़ितों का हाल चाल पूछने जाने के बजाय बीमार पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की कुशलक्षेम पूछने जाने के कारण त्रिवेंद्र सिंह रावत की कल दिन भर सोशल मीडिया पर जो छीछालेदर हुई, उसको लेकर उन्हें आनन-फानन में जेटली से मुलाकात के बजाय अमित शाह से मुलाकात करके उन्हें राज्य के हालात का ब्यौरा देना ज्यादा बेहतर लगा।
डैमेज कंट्रोल: जेटली को छोड़ शाह से मिले सीएम
आपाधापी में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य को आपदा से मात्र 175 करोड़ रुपए के नुकसान का ब्योरा दिया तथा कहा कि “राज्य भर में मानसून सीजन में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में आई आपदा से अब तक 32 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 175 करोड़ के करीब का नुकसान हो गया है।”
निशंक ने बताया था बीस हजार करोड़, त्रिवेंद्र बोले 175 करोड़
जबकि हकीकत यह है कि 175 करोड़ रुपए तो ऊंट के मुंह में वाकई जीरा है। 175 करोड़ तो राज्य की दो-तीन टूटी हुई सड़कों की मरम्मत मे ही बराबर हो जाएगा।
फिर अहम सवाल यह है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ऐसा ब्योरा क्यों दिया, जबकि केवल मोरी क्षेत्र की ही बात करें तो अब तक राज्य सरकार तथा प्रशासन कई आपदा ग्रस्त गांव में अब तक भी नहीं पहुंच पाया है।
ऐसे में बिना वहां गए वहां के भी नुकसान का ब्योरा मुख्यमंत्री कैसे आकलन कर सकते हैं !
हालांकि मुख्यमंत्री का कहना है कि अमित शाह ने उन्हें हर प्रकार का सहयोग देने के प्रति आश्वस्त किया है। कल शाम ही सरकार की ओर से अमित शाह से मुलाकात की फोटो और संदेश सोशल मीडिया में डालकर डैमेज कंट्रोल की भरसक कोशिश की गई, लेकिन लोग इस बात से नाराज हैं कि जब सरकार कई गांव में गई तक भी नहीं तो पूरे राज्य भर में मानसून के सीजन में मात्र 175 करोड रुपए के नुकसान का आकलन कैसे बताया गया !
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में इसी तरह की आपदा राज्य में आई थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने राज्य को भारी नुकसान बताते हुए केंद्र सरकार से 20 हजार करोड रुपए के राहत पैकेज की मांग कर डाली थी।
बहरहाल कल के डे प्लान में केवल अरुण जेटली से मुलाकात का ब्यौरा होने के बावजूद मुख्यमंत्री ने जिस तरह से बिना पूर्व से समय लिए अमित शाह से मुलाकात की है, वह यह सिद्ध करने के लिए काफी है कि उत्तराखंड के लोग यदि चाहें तो प्रदेश के नेतृत्व को अपनी मांगों के अनुसार काम करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।
इसने एक बार फिर से सोशल मीडिया की ताकत को सिद्ध किया है। राज्य हित में अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त करने के लिए पर्वतजन के पाठकों का एक बार फिर से आभार।