स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):- उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने राजकीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव संबंधी जनहित याचिका में याचि और राज्य सरकार को कल लिंगदोह कमेटी पर सर्वोच्च न्यायलय के निर्णय को प्रस्तुत करने को कहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ती विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ ने सुनवाई कल भी जारी रखी है।
आज हुई सुनवाई में राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि उन्होंने बीती 23अप्रैल को शासनादेश जारी कर कहा था कि शैक्षणिक सत्र प्रारम्भ होने से पहले सभी विश्वविद्यालयों के बीती 30 सितंबर तक छात्रसंघ चुनाव सम्पन्न हो जाने चाहिए। लेकिन विश्वविद्यालयों ने इसका अनुपालन नहीं किया। अब चुनाव कराए जाने की प्रक्रिया चल रही है, जो शासनादेश के विरुद्ध है। इसपर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने जो 23 अप्रैल को शासनादेश जारी किया था उसका पालन राज्य सरकार करवाए। विश्वविद्यालय न तो शासनादेश का अनुपालन कर रही है और न ही लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट का। जबकि छात्रों के एडमिशन होने के बाद एक माह के भीतर चुनाव हो जाने चाहिए थे, ताकि उनकी पढ़ाई पर कोई व्यवधान न आए।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी समाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह ने समाचार पत्रों में 25 अक्टूबर को राजकीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव कराए जाने की खबर पढ़ी और उसका संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की। उन्होंने न्यायालय से कहा कि राज्य सरकार ने बीती 23 अप्रैल् को एक शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया, जिसमें छात्रसंघ चुनाव 30 सितंबर तक कराने का निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने समय पर चुनाव आयोजित नहीं किए और न ही शासन से दिशानिर्देश प्राप्त किए, जो लिंगदोह समिति की सिफारिशों का उल्लंघन है और इससे छात्रों की पढाई में असर पड़ रहा है।