देहरादून। स्पीकर ऋतु खंडूड़ी की अनुभवहीनता, संवादहीनता, बिना मेहनत किए सीएम बनने की अति महत्वकांक्षा सरकार और पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बन गई है।
राजनीति में खुद बैकडोर से एंट्री लेने वाली ऋतु की नजर सीधे सीएम की कुर्सी पर है, इसके लिए वो लगातार खुद ही सरकार को एक के बाद एक अस्थिर साबित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही हैं। उनके बाहरी सलाहकार उन्हें डुबोने को तैयार बैठे हैं। संविधान और राजनीतिक विश्लेषक स्पीकर की इस अनुभवहीनता और अति महत्वकांक्षा को भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी के लिए भविष्य का बड़ा खतरा बता रहे हैं। एक्सपर्ट बकायदा घटनावार ऋतु खंडूड़ी के नासमझी भरे फेसलों का भी ब्यौरा दे रहे हैं।
संविधान एक्सपर्ट की मानें तो इस तरह किसी भी दिन स्पीकर अपनी अनुभवहीनता के कारण सदन के भीतर सरकार और पार्टी को बुरी तरह फंसा सकती हैं। जानकार ऋतु खंडूड़ी को स्पीकर जैसे संवेदनशील पद के लिए बेहद अपरिपक्व बता रहे हैं। जो भाजपा के लिए भविष्य के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
स्पीकर के सरकार और पार्टी को मुश्किल में डालने वाले प्रमुख फैसले:
- राजस्व पुलिस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सीधे सीएम को पत्र लिखा जाता है। गोपनीय पत्र सीएम तक पहुंचने से पहले ही अपने सरकारी माध्यम से ही स्पीकर मीडिया को उपलब्ध भी करा कर गोपनीयता को भंग कर देती हैं। जिस स्पीकर पर पूरी संसदीय व्यवस्था की गोपनीयता बनाने का जिम्मा है, वही गोपनीयता भंग कर रही हैं।
- राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर मुख्य सचिव और डीजीपी को सीधे बुलाकर निर्देश दे देती हैं। अब वो सुरक्षा व्यवस्था पर निर्देश देंगी, तो सरकार क्या करेगी। इस अनुभवहीनता पर दिल्ली दरबार तक से नाराजगी जताई जा चुकी है।
- विधानसभा का सत्र कब और कहां होगा, दशकों से परंपरा रही है की ये सरकार तय करती है। लेकिन इस बार स्पीकर ने पहली बार नई परंपरा स्थापित कर दी। खुद ही सत्र का समय और स्थान तय करने को सर्वदलीय बैठक बुला ली। और तो और बैठक में निर्दलीय विधायकों तक को बुला लिया। इसके लिए एक तय व्यवस्था तक को ताक पर रख दिया। स्पीकर की इस अनुभवहीनता ने पार्टी की खासी किरकिरी कराई।
- विधानसभा से निकाले गए कर्मचारियों को लेकर हाईकोर्ट में दाखिल काउंटर में बेहद गंभीर चूक की गई। काउंटर में सरकार को पार्टी न बनाने पर सवाल उठाए। निकाले गए कर्मचारियों ने क्यों सरकार को पार्टी नहीं बनाया, इस पर सवाल उठाया। सीएम की ओर से विचलन से दी गई मंजूरी और वित्त कार्मिक की आपत्तियों को उठाया। लेकिन ये नहीं बताया की सीएम ने तो नितांत अस्थाई व्यवस्था के तहत सिर्फ एक साल के लिए पदों को मंजूरी दी। विचलन से किसी भी सीएम के स्तर से कोई पहली बार मंजूरी नहीं दी गई, बल्कि राज्य गठन के बाद से लेकर आज तक हमेशा ही ऐसी मंजूरी दी गई। विचलन से दी गई इस मंजूरी वाले दस्तावेजों को विधानसभा सचिवालय के जरिए लीक कराया गया। जो बेहद गंभीर चूक बताई जा रही है।