स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
अंतरिक्ष में गहन शोध में मदद करने वाले चतुष्कोणीय बहुरूपिये(क्वेजार)की खोज में नैनीताल के एरीज की युवा वैज्ञानिक का भी बड़ा योगदान है । उन्होंने बताया कि, इंसान और मशीन के एक साथ काम करने से अंतरिक्ष के कई छुपे हुए राज अब मनुष्य तक पहुंचेंगे ।
नैनीताल में मनोरा पीक पर स्थापित आर्यभट्ट रिसर्च एंड ओबरेवेशनल साइंसेज ‘एरीज’ में विभाग ने एक प्रेस वार्ता बुलाकर एरीज की युवा वैज्ञानिक प्रियंका जालान की बड़ी उपलब्धि बताई ।
वैज्ञानिकों ने बताया कि, बेहद सीमित संसाधनों के बावजूद उनका संस्थान विश्व के बड़े देशों जैसे यू.एस.ए., ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड के साथ दिन रात काम कर रहे है।
वही युवा वैज्ञानिक प्रियंका बताती है कि, मिशन ने 12 चतुष्कोणीय बहरूपिया ‘क्विज़ार’ की खोज की है। इन क्विज़ार की महत्वता इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि ये ‘हब्बल लिमातृकांस्टेन्ट जो’ यूनिवर्स एक्सपेंशन का मूल्य निकालने में मदद करेगा।
प्रियंका ने बताया कि, गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग(ग्रेविटेशनल लेंसिंग)की मदद से किसी ऑब्जेक्ट के पीछे का दृश्य भी दिख सकता है । मनुष्य और मशीन के एकसाथ काम करने से पहली बार चार क्वाज़ार की तस्वीरें सामने आई है।
उन्होंने ये भी बताया कि, पिछले वर्ष से वो इंडो बेल्जियम सहभागिता के तहत कार्य कर रही है। उनके साथ यू.एस.ए., ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिक भी काम कर रहे हैं।