मुख्यमंत्री बनने के बाद आज पहली बार उत्तराखंड के जुदा होते हालातों पर हाईकमान ने त्रिवेंद्र रावत की ओर नजरें तरेरी हैं। अब तक कोई भी मसला इस कदर हावी नहीं हो सका कि डबल इंजन सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत असहज महसूस करते, किंतु पिछले कुछ दिनों से पहले उत्तरा प्रकरण पर सरकार की छिछालेदर, उसके बाद अब विधायक संजय गुप्ता द्वारा सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े करने के बाद विपक्ष ही नहीं, सत्ता पक्ष के लोगों ने भी त्रिवेंद्र रावत पर हमले तेज कर दिए हैं।
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हाईकमान की पसंद से मुख्यमंत्री बने त्रिवेंद्र रावत के लिए इस चुनौती को पार करना अब इतना सहज भी नहीं रह गया है। पार्टी कार्यकर्ता काशीपुर में आयोजित कार्यसमिति में सरकार की कार्यप्रणाली पर तमाम सवाल खड़े कर चुके हैं। सरकार से कोई जवाब देते नहीं बन पा रहा।
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इस बीच मौके की नजाकत को भांपते हुए आज पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने दिल्ली स्थित अपने आवास पर एक भोज का आयोजन किया है, जिसमें उत्तराखंड सरकार के मंत्री, विधायक, कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए लोग और भाजपा में सरकार से उपेक्षित लोग पहुंच रहे हैं। विजय बहुगुणा के साथ अपनी विधायकी गंवाने वाले तराई से तीन बार के विधायक शैलेंद्र मोहन सिंघल के साथ भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए गए दुव्र्यवहार और शैलेंद्र मोहन सिंघल को प्रदेश कार्य समिति की बैठक से बाहर करने वाले भारतीय जनता पार्टी के कृत्य से विजय बहुगुणा अचानक सक्रिय हो गए हैं। विजय बहुगुणा अपने साथ आठ अन्य विधायकों को लेकर कांग्रेस से भाजपा में आए थे। उसके बाद बहुगुणा ने प्रदेशभर के 300 से अधिक कांग्रेसियों को भाजपा में 2017 के चुनाव से पहले शामिल करवाया, किंतु अपने लोगों की उपेक्षा के बीच अब भारतीय जनता पार्टी के अधिकांश विधायकों की नाराजगी को भांपते हुए बहुगुणा ने आज इस खास भोज का आयोजन रखा है।
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बहुगुणा सूबे की राजनीति में भले ही भाजपाइयों की नजर में किनारे कर दिए गए हों, किंतु राजनीति के जानकार जानते हैं कि बहुगुणा के पास आज भी किसी चीज की कमी नहीं है। उत्तराखंड के किसी भी नेता से धन बल या विधायकों की संख्या के मामले में बहुगुणा कहीं भी उन्नीस नहीं हैं। सरकार के बीच मचे घमासान के बीच बहुगुणा की यह ‘बिरयानी’ कितना रंग लाती है, यह तो समय ही तय करेगा, किंतु बहुगुणा ने इस ‘बिरयानी’ के बहाने जो फील्डिंग सजाई है, उससे मौके पर चौका लग जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा।
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