उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून परिसर के BAMS पाठ्यक्रम के छात्र/छात्राओं का बदहाल परिवेश और अराजकता के विरुद्ध प्रशासनिक भवन में भारी हंगामा, विश्वविद्यालय प्रशासन के हाथ-पांव फुले।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिसर में बीएएमएस छात्र छात्राओं का भारी हंगामा।कुलसचिव प्रोफेसर अनूप गखड़ को छात्रों ने घेरा।विश्वविद्यालय के स्टेटस को क्लीयर करने की कर रहे हैं छात्र छात्रायें माँग।विश्वविद्यालय ? सरकारी? या आटोनोमस क्या? छात्र छात्रायें जानना चाहते हैं ।
विश्वविद्यालय वसूलता है निजी कालेजों की तरह मोटी फीस। फिर होस्टल भी प्राइवेट,केंटीन भी प्राइवेट,छात्र छात्राओं का हो रहा है आर्थिक शोषण।विश्वविद्यालय से लिए करोड़ों रुपये को किधर लगाता है छात्रों की मांग।
घटिया खाना खाकर कई छात्र हो जाते हैं बीमार ,होस्टल भी निजी किसी फ्लेट को ठेके में दे कर छात्र छात्राओं का हो रहा है आर्थिक शोषण। विश्वविद्यालय में केंटीन में कभी कभी मिलता है 150 रुपये में खाना।खाकर हो जाते है छात्र बीमार।किसी निजी हाथों में चल रही है केंटीन।सूत्रों के हवाले से खबर की इसका कमीशन विश्वविद्यालय उच्च अधिकारियों तक जाता है।काउंसिंलिंग के दौरान अभिभावको ने भी किया है विरोध,होस्टल में भी गंदगी का अंबार।लाखों रुपये लिए जाते हैं हॉस्टल शुल्क।कई छात्र छात्राओं को गंदा पानी पीने से हो गया पीलिया।
आंदोलन कारी छात्रों की कुलसचिव और कुलपति के साथ वार्ता हुई विफल,आंदोलन कारी छात्रों ने प्रशासनिक भवन के मुख्य दरवाजे में जड़ा ताला, सभी अधिकारी और कर्मचारियों को बनाया बंधक ,विश्वविद्यालय प्रशासन हुआ लाचार।
विश्वविद्यालय परिसर में अफरा- तफरी का आलम, स्थिति विस्फोटक, विश्विद्यालय प्रशासन लाचार, कर्मचारियों के बीच असमंजस की स्तिथि, आंदोलनकारी छात्रों और कुलपति के बीच गरम माहौल में हुई बहस, पीड़ित छात्र अपनी मांगों की पूर्ति होने तक प्रदर्शन पर अड़े।विश्वविद्यालय प्रशासन संभालने मे तरह विफल।
आंदोलन हुआ उग्र नियंत्रण हेतु हर्रावाला पुलिस चौकी प्रभारी भारी पुलिस बल लेकर विश्वविद्यालय परिसर पहुचे, स्तिथ नियंत्रण की कार्यवाही प्रारंभ।
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उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय का नया कारनामा पुराने(विद्दमान) निजी संस्थानों में सीटे बची होने के बावजूद भी मात्र आयूष विभाग भारत सरकार से नये मान्यता प्राप्त बी. एस.आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय रुड़की के लिए ही हो रही है काउंसलिंग-
आये दिन विवादित दिनचर्या को लेकर शुर्खियों में रहने वाला उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून पुनः दिनाँक 07- 08 को होने वाली काउंसलिंग भी विवादों में आ गई।
ज्ञात हो उक्त विश्वविद्यालय से पूर्व में 03 सरकारी समेत 07 निजी आयुर्वेदिक, 02 होमियोपैथी और 01 यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय समेत कुल13 चिकित्सा महाविद्यालय सम्बद्धता प्राप्त है जिनमे से आयूष विभाग भारत सरकार से एक आयुर्वेदिक तथा एक होमियोपैथी चिकित्सा महाविद्यालय को इस सत्र की मान्यता नही प्राप्त होने के चलते विश्वविद्यालय ने 11 संस्थाओं की सरकारी कोटे की सीटों का दो चरणों में विवादित काउंसलिंग करा चुका है परन्तु उनमे से भी कई संस्थाओं में अभी भी सरकारी कोटे की कई सीटो को खाली रहने के बावजूद भी विश्वविद्यालय का मात्र इस नये मान्यता प्राप्त बी.एस. आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय रुड़की को ही आगामी 07 – 08 नवंबर को होने वाली काउंसलिंग में शामिल करना अपने आप में प्रश्नचिन्ह(?) लगाता है, लेकिन आये दिन अपने नये -नये कारनामो को लेकर शुर्खियों में रहने वाले इस विश्वविद्यालय के लिए कुछ भी सम्भव है, लेकिन विश्वविद्यालय ने आयूष विभाग भारत सरकार द्वारा आयूष पद्धति में छात्रों के प्रवेश लेने की समय सीमा( अंतिम तिथि को 08 नवंबर ) तक बढ़ाये जाने के बावजूद भी अंतिम दिन आयोजित होने वाली काउंसलिंग में अन्य संस्थानों की बची हुई सीटो को शामिल नही करने का कोई कारण स्पस्ट नही किया है और न ही उन्हें किस प्रकार भरा जायेगा उसका कोई उपाय बताया है।
आये दिन विवादित दिनचर्या को लेकर शुर्खियों में रहने वाला उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून पुनः दिनाँक 07- 08 को होने वाली काउंसलिंग भी विवादों में आ गई।
ज्ञात हो उक्त विश्वविद्यालय से पूर्व में 03 सरकारी समेत 07 निजी आयुर्वेदिक, 02 होमियोपैथी और 01 यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय समेत कुल13 चिकित्सा महाविद्यालय सम्बद्धता प्राप्त है जिनमे से आयूष विभाग भारत सरकार से एक आयुर्वेदिक तथा एक होमियोपैथी चिकित्सा महाविद्यालय को इस सत्र की मान्यता नही प्राप्त होने के चलते विश्वविद्यालय ने 11 संस्थाओं की सरकारी कोटे की सीटों का दो चरणों में विवादित काउंसलिंग करा चुका है परन्तु उनमे से भी कई संस्थाओं में अभी भी सरकारी कोटे की कई सीटो को खाली रहने के बावजूद भी विश्वविद्यालय का मात्र इस नये मान्यता प्राप्त बी.एस. आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय रुड़की को ही आगामी 07 – 08 नवंबर को होने वाली काउंसलिंग में शामिल करना अपने आप में प्रश्नचिन्ह(?) लगाता है, लेकिन आये दिन अपने नये -नये कारनामो को लेकर शुर्खियों में रहने वाले इस विश्वविद्यालय के लिए कुछ भी सम्भव है, लेकिन विश्वविद्यालय ने आयूष विभाग भारत सरकार द्वारा आयूष पद्धति में छात्रों के प्रवेश लेने की समय सीमा( अंतिम तिथि को 08 नवंबर ) तक बढ़ाये जाने के बावजूद भी अंतिम दिन आयोजित होने वाली काउंसलिंग में अन्य संस्थानों की बची हुई सीटो को शामिल नही करने का कोई कारण स्पस्ट नही किया है और न ही उन्हें किस प्रकार भरा जायेगा उसका कोई उपाय बताया है।