आल वेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन और पंचेश्वर बांध् के निर्माण कार्यं तेजी से होने की संभावना
उत्तराखण्ड की स्थायी राजधनी गैरसैंण पर स्थिति स्पष्ट करने की चुनौती
मामचन्द शाह
देहरादून। शनिवार 11 मार्च को होली से पूर्व पूरी तरह भगुवा रंग से रंगी भाजपा के सामने अब उत्तराखण्ड में कांग्रेसराज में चरमराये विकास की दिशा व दशा को चुस्त-दुरुस्त करने की बड़ी चुनौती है। इसके अलावा प्रधनमंत्राी नरेंद्र मोदी के कथनासाुर ‘उत्तराखण्ड को चाहिए डबल इंजन’ से भी प्रदेश को कई उम्मीदे हैं।
चुनाव से पूर्व देहरादून में हुई भारतीय जनता पार्टी की एक विशाल जनसभा को संबोध्ति करने के दौरान प्रधनमंत्राी नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘उत्तराखण्ड को चाहिए डबल इंजन’, यानि कि केंद्र में भाजपा सरकार होने के साथ ही उत्तराखण्ड में भी भाजपा की सरकार चाहिए। इससे विकास कार्यों को गति मिलेगी। उत्तराखण्ड की जनता ने भी पीएम मोदी को अपना प्रचंड समर्थन दिया। अब चूंकि प्रदेश में भाजपा सरकार बनने जा रही है तो ऐसे में यहां की कई बड़ी परियोजनाओं को भी पंख लग गए हैं।
देहरादून में पीएम मोदी ने साढ़े 12 हजार करोड़ रुपए लागत की आल वेदर रोड का शिलान्यास किया था। अब उत्तराखण्ड की जनता की उम्मीदें भी हिलोरें मारने लगी हैं कि यहां भाजपा की सरकार बन रही है तो इन सड़कों का निर्माण कार्य भी बिना अवरोध् तीव्र गति से हो सकेगा। इसके अलावा केंद्र की भाजपा सरकार ने कुछ महीने पूर्व कर्णप्रयाग रेल लाइन के महाप्रोजेक्ट का शिलान्यास कर यह जताने की कोशिश की थी कि पहाड़ों में बिना परिवहन विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। इस परियोजना को शुरू कराने के लिए तब तत्कालीन कांग्रेस नेता सतपाल महाराज ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। यही कारण था कि उन्हें ‘रेल पुरुष’ की उपाध् िभी दी गई। अब चूंकि उत्तराखण्ड का नेतृत्व करने का उनके पक्ष में बेहतर समीकरण बनते दिख रहे हैं तो ऐसे में अपनी टीम सहित वे केंद्र सरकार से कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना का निर्माण कार्य को तीव्र गति से धरातल पर उतारने का प्रयास करेंगे।
इसके अलावा राज्य गठन के दौरान भारतीय जनता पार्टी की अंतरिम सरकार के बावजूद भी उत्तराखण्ड की स्थायी राजधनी का चयन न हो पाने का ठीकरा प्रदेशवासियों सहित प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस व उक्रांद तक भी भाजपा के सिर ही पफोड़ते रहे हैं। माना जा रहा है कि इस बार भाजपा उत्तराखण्ड की स्थायी राजधानी गैरसैंण पर भी अपना स्टैंड स्पष्ट कर सकती है।
नेपाल से लगने वाले सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में प्रस्तावित पंचेश्वर बहुद्देशीय परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए अगस्त 2014 में भारत और नेपाल सरकार द्वारा संयुक्त रूप से पंचेश्वर बांध् प्राध्किरण का गठन किया गया है। भारत-नेपाल सीमा पर यह परियोजना महाकाली नदी ;भारत, उत्तराखण्ड में शारदा नदीद्ध प्रस्तावित है। यह बांध् सरयू और महाकाली नदी के संगम से ढाई किमी. नीचे की ओर उत्तराखण्ड के कस्बे टनकपुर से 70 किमी. उफपर की ओर बनेगा। बिजली उत्पादन के अलावा इस महापरियोजना से दोनों देशों को अतिरिक्त सिंचाई की सुविध मिलेगी। इसके अतिरिक्त बाढ़ नियंत्राण में भी भारी मदद मिलने की संभावना है। 4800 मेगावाट की की इस परियोजना का निर्माण लगभग 40 हजार करोड़ रुपए की लागत से होगा।
कुल मिलाकर उत्तराखण्ड में भाजपा की सरकार बनने जा रही है। प्रधनमंत्राी नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के उत्तराखण्ड में सरकार बनने का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ सपफल हो गया है। जाहिर है कि उत्तराखण्ड की जनता की उम्मीदों को पंख लग गए हैं कि डबल इंजन से उत्तराखण्ड के विकास का पहिया तेजी से घूमेगा।