डीआईपीपी और वल्र्ड बैंक के साझा सर्वे में उत्तराखंड को औद्योगिक विकास के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए प्रशंसा की गई है
पर्वतजन ब्यूरो
छोटा प्रदेश होने के बाद भी उत्तराखंड आज देश के औद्योगिक विकास के क्षेत्र में एक बड़ा नाम बनने जा रहा है। डायरेक्टरेट ऑफ इंडस्ट्रियल प्रमोशन एंड पॉलिसी (डीआईपीपी) ने वल्र्ड बैंक के साथ देश के औद्योगिक विकास का हाल ही में एक साझा सर्वे कराया। इसमें उत्तराखंड को नौवां श्रेष्ठ प्रदेश माना गया। पिछले सर्वे में उत्तराखंड 23वें स्थान पर था।
डीआईपीपी ने औद्योगिक विकास के लिए विभिन्न सुधारों और कार्यवाहियों के लिए जो मानक तय किए थे, उसमें उत्तराखंड ९६.१३ प्रतिशत कार्यवाही कर चुका है।
सिडकुल के प्रबंध निदेशक तथा अपर सचिव औद्योगिक विकास आर. राजेश कुमार ने पिछले दो वर्षों में औद्योगिक क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न सुधार कार्यान्वित किए। इसका नतीजा है कि डीआईपीपी के सर्वे में उत्तराखंड ने २३वें स्थान से नौवां स्थान हासिल कर लिया। उत्तराखंड औद्योगिक विकास में सभी पहाड़ी राज्यों में आज नंबर वन पहाड़ी राज्य बन चुका है।
आर. राजेश कुमार ने उद्योग जगत को प्रोत्साहित करने के लिए व्यावसायिक करों और सही टैक्स संबंधी प्रश्नों के लिए सबसे पहले एक हैल्प डेस्क नंबर (१८०० २७४ २२७७) जारी किया। इसके साथ ही सभी जिला उद्योग केंद्रों में भौतिक हैल्प डेस्क की भी स्थापना की।
आर. राजेश कुमार ने व्यवसाय के सुधारों के लिए सेवा का अधिकार अधिनियम से लेकर सिंगल विंडो सिस्टम लागू किए। प्लॉटों का पारदर्शिता से आवंटन सुनिश्चित करने के साथ-साथ थर्ड पार्टी ऑडिट और थर्ड पार्टी रजिस्टे्रशन सहित कुछ ऐसी व्यवस्थाएं की कि निवेशकों के टैक्स संबंधी रजिस्ट्रेशन एक दिन में ही आसानी से हो सकें।
इसके अलावा उद्योग लगाने में विभिन्न अड़चनों को दूर करने के कई प्रयास एमडी राजेश कुमार ने व्यक्तिगत रुचि लेकर किए। इसमें बिजली के बिलों का ऑनलाइन भुगतान से लेकर ऑनलाइन बिल्डिंग प्लान अनुमोदन, ऑनलाइन पेड़ काटने की स्वीकृति से लेकर लैंड यूज परिवर्तन और प्रॉपर्टी रजिस्टे्रशन और श्रम कानूनों के अनुमोदन सहित अधिकांश कार्यों को ऑनलाइन कराने के लिए विभिन्न विभागों से सामंजस्य स्थापित किया।
डीआईपीपी ने अपने सर्वे में इन प्रयासों को विशेष तौर पर अंकित किया और औद्योगिक क्षेत्र में सुधारों के लिए उद्योग विभाग की तारीफ की तथा उत्तराखंड को इस सर्वे में लीडर स्टेट के रूप में आंका गया। साथ ही ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में भी उत्तराखंड को सबसे ज्यादा सुधार करने वाले राज्यों में भी प्रथम स्थान दिया।
उत्तराखंड में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए उद्योग विभाग ने www.investuttarakhand.com नाम से सिंगल विंडो पोर्टल तैयार कराया है। इसमें किसी भी प्रकार के उद्योग को स्थापित करने के लिए जरूरी लाइसेंस और पंजीकरणों की सूची उपलब्ध है। उत्तराखंड में निवेश करने का इच्छुक कोई भी व्यक्ति इस पोर्टल पर सभी जरूरी औपचारिकताएं ऑनलाइन पूरी कर सकता है।
सिडकुल के एमडी आर. राजेश कुमार कहते हैं कि सिडकुल का कार्यभार ग्रहण करने की शुरुआत से ही उनकी प्राथमिकता निवेशकों की सुविधा को अधिकाधिक बढ़ाना रहा है, ताकि उन्हें उद्योग लगाने से संबंधित सभी सूचनाएं आसानी से मिल सकें।
निवेशकों की सुविधा है प्राथमिकता: आर. राजेश कुमार
राज्य में औद्योगिक निवेश की सुगमता को लेकर सिडकुल के एमडी से बातचीत के संक्षिप्त अंश:-
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत क्या पहल की गई है?
– ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अंतर्गत उठाए गए सुधारात्मक उपायों तथा सिडकुल द्वारा भूमि आवंटन तथा सेवाओं को एकल खिड़की व्यवस्था तथा सिडकुल स्मार्ट सिटी ऑनलाइन सिस्टम लागू होने से सिडकुल के कार्यों में पारदर्शिता आई है तथा निवेशकों के लिए यह सुविधाजनक हो गई है। इन्हीं प्रयासों के अंतर्गत सिडकुल को दिए जाने वाले भुगतान की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन पेमेंट गेटवे की व्यवस्था की गई है।
निवेशकों के लिए कोई विशेष शुरुआत?
मेगा इंडस्ट्रियल एवं इन्वेस्टमेंट पॉलिसी २०१५ तथा मेगा टैक्सटाइल पार्क पॉलिसी २०१४ के अंतर्गत निवेशकों को देय रियायतों/सुविधाओं को सुलभ रूप में उपलब्ध कराने के दृष्टिगत इसके लिए ऑनलाइन सुविधा विकसित की गई है।
सिडकुल ने अपनी कार्य संस्कृति में क्या सुधार किए हैं?
प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। निवेशकों की सुविधा हेतु उपरोक्त प्रयासों के अतिरिक्त सिडकुल कार्यालयों में कार्य संस्कृति के सुधार तथा कार्यरत कर्मचारियों को कार्य करने हेतु सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से कई सुधारात्मक प्रयास किए गए। कार्यालय में बायोमेट्रिक अटेंडेंस तथा ऑनलाइन सैलरी प्रोसेसिंग हेतु सुविधा विकसित की गई है। कर्मचारियों की सुविधा हेतु एचआर से संबंधित जानकारियों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने तथा विभिन्न गतिविधियों के संचालन हेतु एचआरएमएस सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। ई-गवर्नेंस के अंतर्गत फाइल ट्रेकिंग के लिए फाइल ट्रेकिंग सिस्टम भी विकसित किया जा रहा है।