पंकज कुशवाल
आपकी देशभक्ति के लिए उमड़ी भावनाओं को अमर उजाला बेचकर खा गया।
पहाड़ की आवाज होने का दावा करने वाला अमर उजाला अखबार जानता है कि क्या बेचा जा सकता है। कश्मीर में शहीदों को शहादत का सौदा कर जेब भरना सिर्फ नेताओं, हथियारों को सौदागरों को नहीं आता बल्कि अखबारों को भी खूब आता है।
उदाहरण के तौर पर 19 फरवरी मंगलवार की अमर उजाला अखबार को देखा जा सकता है। इसमें पेज नंबर 4 पर संवाददाताओं द्वारा शहीदों पर मार्मिक खबरें लिखी गई है और नीचे स्थान पर उस खबर को विज्ञापन प्रतिनिधियों द्वारा भुनाया गया है।
चैनल टीआरपी बटोरकर विज्ञापनों के भाव बढ़ा चुके हैं तो वहीं अखबार भी कहां पीछे रहने वाले। देहरादून ने इस सप्ताह भर में दो मेजर, एक जवान खोया है। हर कोई स्तब्ध है, देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों के लिए बह रहे आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। लेकिन, अखबार को पता है कि यह देशभक्ति में उमड़ रही भावनाओं को कैसे कैश किया जाए।
विधायकों से संपर्क साधा और उनसे विज्ञापन ले लिए। राज्य में सबसे ज्यादा प्रसार वाले अखबार से आई डिमांड को विधायक भी इंकार न कर सके। लेकिन, अमर उजाला को शायद ही शर्म आए।