विनोद कोठियाल, देहरादून
पर्यटकों को प्रदेश में भ्रमण हेतु आने के लिए यातायात की सुविधाओं की नितांत आवश्यकता होती है। जिस भी प्रदेश में यातायात की सुविधाएं अधिक होती हैं, वहां का पर्यटन औसतन अन्य प्रदेशों की पर्यटन की अपेक्षा अच्छा होता है। प्रदेश में सामरिक दृष्टि से भी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट की आवश्यकता है, जिसके लिए प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा केंद्र सरकार से बार-बार इस संबंध में वार्ता भी की जा रही है।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने पर्वतजन से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि जाॅली ग्रांट हवाई अड्डे का विस्तार लगभग लगभग नहीं हो सकने के कारण अब प्रदेश को एक अन्य एयरपोर्ट की आवश्यकता है जो कि अंतर्राष्ट्रीय लेवल का हो। महाराज ने इस संबंध में केंद्र सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्री व नागरिक उड्डयन सचिव से कई दौरों की वार्ता भी की। केंद्र से मिले आश्वासन के अनुसार प्रदेश सरकार को केवल जमीन उपलब्ध करानी है और केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान कर चुकी है।
अब गेंद प्रदेश सरकार के पाले में है कि वह भारत सरकार को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए जमीन उपलब्ध कराती है कि नहीं।
महाराज द्वारा सुझाए गए तथ्यों में आईडीपीएल ऋषिकेश इसके लिए सबसे उपयुक्त स्थान बताया गया था, क्योंकि भौगोलिक दृष्टि से समतल होने के कारण और बहुत बड़ा एरिया सरकार के हाथ में होने के इस स्थान पर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनने में ज्यादा मुश्किल नहीं थी परंतु प्रदेश सरकार द्वारा इस दिशा में कोई सार्थक प्रयास अभी तक नहीं किया गया। यदि ऋषिकेश में आईडीपीएल की जमीन को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए दे दिया जाता है तो उत्तराखंड में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक का आने का ग्राफ बढ़ जाएगा जिससे प्रदेश की आर्थिकी को काफी अच्छा फायदा हो सकता है और सामरिक दृष्टि से भी प्रदेश के हित में होगा।
प्रदेश से व्यापार जैसे कि जड़ी-बूटी फूलों को अन्तराष्ट्रीय बाजार मे पहुंचाना हो, चाहे पूरी दुनिया से धार्मिक आस्था के लिए पितृ तर्पण के लिये हरिद्वार और ऋषिकेश आदि स्थानों पर आना हो या अन्य प्रकार का व्यापार हो उत्तराखंड के लिए फायदेमंद साबित होगा।
किसी भी हिमालयी प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट नहीं है। यदि उत्तराखंड में उनकी इस मुहिम को आगे बढ़ाया जाता है तो उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश हरियाणा आदि कई प्रदेशों से काफी आगे निकल जाएगा। हिमालय राज्यों के अलावा हरियाणा और पंजाब मे भी अन्तराष्ट्रीय स्तर का एयर बेस नहीं बनाया जा सकता है। कारण कि उनकी सीमा पाकिस्तान से सटी होने के कारण यदि जहाज की उड़ा मे एक दो डिग्री का भी अन्तर आ जाये तो सीधा पाकिस्तानी सीमा को प्रवेश कर जायेगा।
कोई भी हवाई कंपनी इस तरह के पचड़े में नहीं पड़ना चाहती, जिस कारण पूरा एअर ट्रैफिक लोड दिल्ली पर ही रहता है। यदि उत्तराखंड में अन्तराष्ट्रीय स्तर का एयर बेस बन जाता है, तो प्रदेश को काफी फायदा होने की उम्मीद की जा सकती है। बहरहाल पर्यटन मन्त्री सतपाल महाराज द्वारा की जा रही पहल कब तक साकार होगी यह तो भविष्य के गर्त में है, पर यह पहल राज्य के लिए अच्छी जरूर है।