उत्तराखंड में विपक्ष में बैठी कांग्रेस की कमान से दो सालों से चकराता के विधायक प्रीतम सिंह के पास है। इन दो सालों में प्रीतम सिंह सबसे बड़ी उपलब्धि है रही कि वह अपने लिए लोकसभा का टिकट लाने में कामयाब रहे। प्रीतम सिंह चकराता की चाहरदीवारी से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। बीच में उन्होंने अपने बेटे की चकराता में लांचिंग करा कर जरूर संकेत दिए थे कि अब तीसरी पीढ़ी का भी इंतजाम होने जा रहा है। अपने बेटे को उन्होंने नगर पंचायत चुनाव के बाद कई जगह शपथ ग्रहण समारोह में मुख्य अतिथि बनवाया, ताकि आने वाले समय में पहचान का संकट न रह सके। दो वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बावजूद प्रीतम सिंह की प्रदेश कार्यकारिणी का आज तक कोई अता-पता नहीं है।
प्रीतम सिंह अपने से पूर्व अध्यक्ष रहे किशोर उपाध्याय द्वारा बनाए गए महामंत्री, उपाध्यक्ष, मंत्री व संगठन के तमाम पदों के साथ-साथ उन्हीं प्रवक्ताओं के भरोसे चल रहे हैं। प्रीतम सिंह की पूरी टीम वही है जो किशोर उपाध्याय की थी। दो साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन न तो वे अपनी उपलब्धियां बताने सामने आए और न ही अपनी कार्यकारिणी का विस्तार करने की।
उत्तराखंड के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी पार्टी के अध्यक्ष ने दो साल तक दूसरे द्वारा बनाई गई कार्यकारिणी से टाइम पास किया हो। उत्तराखंड में जनता के तमाम मुद्दों पर भी प्रीतम सिंह और किशोर उपाध्याय वाली कार्यकारिणी सड़क पर उतरने को तैयार नहीं।
पिछले दिनों जौनपुर में दलित युवक की हत्या जैसे गंभीर मुद्दे को भी प्रीतम सिंह मुद्दा बनाने में नाकाम रहे। प्रदेश में किसानों की आत्महत्या से लेकर बेरोजगारों के मुद्दे, किसानों के मुद्दों, गन्ना किसानों के भुगतान, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, शिक्षा की गिरती स्थिति कहीं पर भी प्रीतम सिंह विपक्ष के प्रदेश अध्यक्ष के काम करते नहीं दिखाई दिए।
गंभीर बात तो यह रही कि जिन राजीव गांधी की मूर्ति पर प्रीतम सिंह कांग्रेस भवन में रोज माला डालते हुए दिखाई देते हैं, प्रधानमंत्री द्वारा की गई तीखी टिप्पणी पर भी कांग्रेसी सड़क पर नहीं उतर पाए। प्रदेश में हर दिन भाजपाईयों द्वारा किए जा रहे तांडव पर विपक्ष का इस प्रकार मौन किसी के गले नहीं उतर रहा कि आखिरकार प्रीतम सिंह की ऐसी भी क्या मजबूरी है कि इन दो वर्षों में प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह अपनी भूमिका से न्याय नहीं कर सके। कांग्रेसी इंतजार कर रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद शायद कार्यकारिणी लायक कांग्रेसी प्रीतम सिंह को मिल जाए।