पर्वतजन
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
पर्वतजन
No Result
View All Result
Home पर्वतजन

कुलपति पर खामोश कुलाधिपति!

November 5, 2016
in पर्वतजन
ShareShareShare

आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा के खिलाफ कार्यवाही को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाने वाला राजभवन उसी विवि के कुलपति के खिलाफ मौन क्यों हुआ?

कुलदीप एस. राणा

kk-paul-governorआखिरकार आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति हाईकोर्ट को ही निरस्त करनी पड़ी, जबकि कायदे से यह नियुक्ति राज्यपाल को निरस्त करनी चाहिए थी। राजभवन जैसी संवैधानिक गरिमापूर्ण संस्था पर कोर्ट का यह हस्तक्षेप राजभवन की मर्यादा के लिए शुभ संकेत नहीं है।
एक तरफ तो कुलसचिव मृत्युंंजय मिश्रा की नियुक्ति प्रकरण पर राजभवन ने पिछले एक साल से सरकार को दर्जनभर पत्र लिखकर मुख्यमंत्री की नाक में दम कर रखा था, वहीं विवि के कुलपति पद पर सतेंद्र प्रसाद मिश्रा की पुन: नियुक्ति में आयु संबंधी अनियमितता पर राज्यपाल की चुप्पी ने राजभवन की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
दरअसल विवि में कुलसचिव की नियुक्ति सरकार द्वारा की गई थी और कुलपति की नियुक्ति राजभवन द्वारा की जाती है। इस अवैध नियुक्ति के खिलाफ एक याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाना पड़ा, क्योंकि राजभवन ने इस अवैध नियुक्ति पर कोई एक्शन नहीं लिया था।
कुलपति सतेंद्र प्रसाद मिश्रा पर आरएसएस के करीबी होने और इससे लाभ प्राप्त करने के भी आरोप लगते रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि संघ और भाजपा के शीर्षस्थ नेतृत्व से आई एक सतेंद्र मिश्रा के नाम की एक पर्ची मात्र से २०११ में कुलपति पद पर मिश्रा की नियुक्ति हुई थी। इसके पश्चात मिश्रा ने राजभवन में अपनी नजदीकियां बढ़ा दी और तत्कालीन राज्यपाल अजीज कुरैशी के साथ संबंधों का लाभ लेकर २०१४ में कार्यकाल पूर्ण होने के बाद एक वर्ष का एक्सटेंशन भी करवा लिया। इसी दौरान कुलपति चयन प्रक्रिया आरंभ हुई तो हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित सर्च कमेटी के सम्मुख मिश्रा ने १२ पृष्ठों का अपना बायोडाटा भेजा, उसमें जन्मतिथि १४ जुलाई १९५१ दर्शायी।
गौरतलब है कि उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय अधिनियम २००९ के आयु संबंधी नियम के अनुसार कुलपति पद पर वर्तमान नियुक्ति तिथि के समय सतेंद्र प्रसाद मिश्रा ६५ वर्ष ५ माह और २४ दिन की आयु पूर्ण कर चुके थे, जबकि कुलपति पद की अधिकतम आयु सीमा ६५ वर्ष निर्धारित है। अर्थात मिश्रा कुलपति पद के लिए अनफिट हो चुके थे।
हाईस्कूल प्रमाण एवं यूनिवर्सिटी में पूर्व में जमा कराए गए बायोडाटा के अनुसार उनकी वास्तविक जन्मतिथि १४ जुलाई १९४९ है। इस तरह मिश्रा ने आयु में दो वर्ष का लाभ लेने की मंशा से सर्च कमेटी के सम्मुख आयु संबंधी गलत तथ्य पेश किए। बावजूद इसके सर्च कमेटी ने प्राप्त हुए तमाम आवेदनों में से राजभवन को जो नाम सुझाए, उनमें सतेंद्र प्रसाद मिश्रा का नाम भी सम्मिलित था। इन तमाम बातों से प्रतीत होता है कि मिश्रा का नाम कुलपति पद के लिए पहले ही तय हो चुका था। इसी बीच कुरैशी की उत्तराखंड राजभवन से विदाई तय हो गई और जाते-जाते वे सतेंद्र प्रसाद मिश्रा की कुलपति पद पर विवादास्पद नियुक्ति कर गए। उनके इस कृत्य से विदाई के बाद उनकी जमकर किरकिरी हुई।
संपूर्ण प्रकरण जब एक जनहित याaziz-qureshiचिका के माध्यम से उत्तराखंड हाईकोर्ट पहुंचा तो सतेंद्र प्रसाद मिश्रा को अपनी नियुक्ति और आजादी खतरे में दिखाई देने लगी। ऐसे में मिश्रा ने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए राजभवन को इस्तीफा सौंपकर इस मामले से खुद को बचाने का पैंतरा चला। राजभवन ने भी चुपचाप उनकाइस्तीफा सरकार की तरफ सरका दिया। ऐसे में सीधे-सीधे राजभवन सचिवालय की संलिप्तता स्पष्ट होती है।
सवाल यह है कि क्या मिश्रा के कुलपति पद से इस्तीफा देने भर से ही इन तमाम विवादों का अंत हो जाता है! जो व्यक्ति आयु जैसे महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाकर कुलपति पद पर नियुक्ति पा सकता है, क्या ऐसे व्यक्ति की शैक्षणिक योग्यताओं और उसके कार्यकाल में विश्वविद्यालय में हुए महत्वपूर्ण निर्णयों पर संदेह उत्पन्न नहीं होता! खासकर तब जब इन्हीं के कार्यकाल में हुई प्री मेडिकल टेस्ट में बड़ी संख्या में मुन्नाभाइयों के पकड़े जाने की जांच अभी चल ही रही है। बावजूद इसके लगता है कि राजभवन ने विश्वविद्यालय के सबसे उच्च पद पर बैठे मुन्नाभाई मिश्रा को इन सभी संदेहास्पद गतिविधियों पर आंख मूंदकर उनका इस्तीफा स्वीकार कर उन्हें साफ बचा लिया।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने के कारण इन तमाम जिम्मेदारियों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। सतेंद्र मिश्रा की नियुक्ति में हुई इन तमाम अनियमितताओं पर जांच बैठाने के बजाय नियुक्ति प्रकरण में उच्च न्यायालय के आने वाले फैसले से डरे राजभवन द्वारा गुप-चुप तरीके से मिश्रा के इस्तीफे पर चुप्पी साध लेना राजभवन की साख पर भी
सवालिया चिन्ह लगाता है।

मिश्रा ने १२ पृष्ठों का अपना बायोडाटा भेजा, उसमें जन्मतिथि १४ जुलाई १९५१ दर्शायी, जबकि हाईस्कूल प्रमाण एवं यूनिवर्सिटी में पूर्व में जमा कराए गए बायोडाटा के अनुसार उनकी वास्तविक जन्मतिथि १४ जुलाई १९४९ है। इस तरह मिश्रा ने आयु में दो वर्ष का लाभ लेने की मंशा से सर्च कमेटी के सम्मुख आयु संबंधी गलत तथ्य पेश किए।


Previous Post

पलायन क्यों हो रहा है।

Next Post

विकासनगर से जौनसार जाते हैं गुरूजी पढ़ाने

Next Post

विकासनगर से जौनसार जाते हैं गुरूजी पढ़ाने

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *






पर्वतजन पिछले २3 सालों से उत्तराखंड के हर एक बड़े मुद्दे को खबरों के माध्यम से आप तक पहुँचाता आ रहा हैं |  पर्वतजन हर रोज ब्रेकिंग खबरों को सबसे पहले आप तक पहुंचाता हैं | पर्वतजन वो दिखाता हैं जो दूसरे छुपाना चाहते हैं | अपना प्यार और साथ बनाये रखिए |
  • श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय ने खिलाड़ियों को दिलाई चॉपर राइड, बोले- I Love SGRRU
  • बड़ी खबर: देवभूमि गोल्ड कप में भिड़ेंगी देश की टॉप टीमें। चमकेंगे IPL स्टार्स..
  • वायरल वीडियो : मेरे होते हुए किसी की औकात नहीं, जो गरीबों की जमीन पर कब्जा करे।
  • RTI खुलासा: प्रदेश में 3 साल में 3044 महिला अपराध। 2583 बलात्कार के मामले दर्ज
  • दून में 6100 करोड़ का एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट शुरू।बिंदाल-रिस्पना किनारे हटेंगे कई मकान
  • Highcourt
  • उत्तराखंड
  • ऋृण
  • निवेश
  • पर्वतजन
  • मौसम
  • वेल्थ
  • सरकारी नौकरी
  • हेल्थ
May 2025
M T W T F S S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  
« Apr    

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

error: Content is protected !!