हाइड्रो इंजीनियरिंग संस्थान की हुई दयनीय दशा।
संस्थान में भय का माहौल
हाइड्रो इंजीनियरिंग संस्थान में सर्वत्र भय का माहौल व्याप्त है तथा शिक्षकों/कर्मचारियों के उत्पीड़न से टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड में स्थापित पावर मिनिस्ट्री, भारत सरकार के सहयोग से एक MOU के तहत एशिया के पहले हाइड्रो पावर संस्थान के भविष्य पर ही संकट के बादल छाये हुए हैं।
इस माहौल के लिए प्रमुख सचिव तकनिकी शिक्षा श्री ओम प्रकाश सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं , जिनके सहयोग से निदेशक PROF. G. S. Tomar , THDC-IHET ने पूरी तौर पर माननीय कुलपति, कुलसचिव तथा माननीय कुलाधिपति , उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के आदेशों की अवहेलना करके इस प्रतिष्ठित संस्थान को पूरी तरह से अपने व्यक्तिगत हित में प्रयोग करना शुरू कर रखा है।
यही नही निदेशक ने 2011 में THDC INDIA LIMITED और उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के बीच हुए अनुबंध(MOU) को बदलने हेतु THDC इंडिया को पत्र लिखा जिसको उनकी तरफ से खारिज कर दिया गया है।
एक प्रोफेसर के RTI के जबाब में माननीय कुलपति ने निदेशक महोदय के नाम से जारी पत्र में पूछा है कि बिना अनुमति के किन नियमों के तहत संस्थान का कार्य संचालन हो रहा है। जिसका जबाब आजतक निदेशक महोदय विश्वविद्यालय प्रशाशन को नहीं उपलब्ध करा सके। जबकि माननीय कुलपति महोदय का पत्र उत्तराखंड शासन व माननीय कुलाधिपति को भी उनके संज्ञान के लिए प्रेषित किया गया है |
विश्वविद्यालय प्रशासन ने निदेशक को पत्र जारी करके (पत्र दिनांक 19/05/2018 को जारी हुआ) पूछा है कि इस संस्थान में पूर्व में गठित प्रशासकीय परिषद् की अब तक स्थिति से विश्वविद्यालय को अवगत कराएं तथा बताएं कि किस आदेश के तहत केवल TEQUIP III के लिए गठित प्रसाशकीय परिषद से आदेश लेकर संस्थान का कार्य संचालन कर रहे हैं। जबकि TEQUIP III के लिए गठित प्रशासकीय परिषद से आदेश लेकर निदेशक महोदय ने पूरे संस्थान में भय का माहौल बना रखा है। किसी भी शिक्षक/कर्मचारी को नौकरी से बेदखल करने की धमकी देना व निलंबित कर देना इनके आदत में शुमार हो चुका है। इस प्रकार के आदेशों व धमकियों से परेशान होकर एक वरिष्ठ प्रवक्ता को विश्वविद्यालय प्रशासन व उत्तराखंड प्रसाशन से अपने लिए सुरक्षा की मांग रखनी पड़ी है, जिसे कुलसचिव तकनीकी विश्वविद्यालय ने स्वीकार कर सम्बंधित प्राधिकारियों को प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया है तथा एक प्रति निदेशक को भी जारी किया है।
यह संस्थान अब भी एक संघटक संस्थान होने के नाते पूरी तरह से विश्वविद्यालय के ही अधीन व UTU Act 2005 के तहत ही काम कर सकता है। परन्तु प्रमुख सचिव तकनिकी शिक्षा श्री ओम प्रकाश से अनुमति लेकर विद्यार्थियों की फीस को केवल इसी संस्थान में रुपये 25000/सेमेस्टर से 30000/सेमेस्टर कर दिया गया है।
निदेशक महोदय ने शिक्षकों की भर्ती के लिए भी उचित प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए व विश्वविद्यालय को दरकिनार करके विगत दिवस स्वयं के स्तर से ही 21/06/2018 को प्रकाशित करवा दिया है।
इस भर्ती प्रक्रिया में विशेष बात यह है कि कुछ लोगों को सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा तथा कुछ लोगों को प्रमुख सचिव श्री ओम प्रकाश तथा निदेशक PROF G S Tomar की कृपा से सेवा में बनाये रखा जाएगा। आजकल यह विषय पूरे संस्थान परिसर में व आस पास के लोगों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा, ओम प्रकाश ने एक आदेश जारी करके TEQUIP III के लिए प्रशासनिक परिषद के गठन को मंजूरी दी है व स्वयं इस प्रशासनिक परिषद के उपाध्यक्ष पद पर आशीन होकर विश्वविद्यालय की समस्त शक्तियों का अतिक्रमण कर के अपने अधीन कर रखा है व जिसकी अनुमति से संस्थान के सारे कार्य निदेशक कर रहे हैं तथा विश्वविद्यालय के अधिकारों व आदेशों की निरंतर अवहेलना कर रहे हैं।
WIT (UTU का एक संघटक संस्थान जो कि सिर्फ छात्राओं के लिए है ) के एक केस में माननीय उच्चन्यायालय ने अपने एक आदेश (31 /05 /2018 को case no. WPSB 568/2017) के बिंदु संख्या 10 में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि Additional Chief Secretary इस तकनीकी विश्वविद्यालय में कोई भी आदेश नहीं दे सकते यदि उन्होंने कोई आदेश दिया तो वह आदेश क़ानून की दृष्टि में गलत होगा।
अतः इस प्रकार विश्वविद्यालय का सर्वोच्च अधिकारी कुलपति व कुलाधिपति ही होगा।
माननीय उच्चन्यायालय के इस आदेश के बाद माननीय कुलपति महोदय ने कुलसचिव को आदेश दिया है कि सभी संघटक संस्थानों को आदेश जारी करके यह सुनिश्चित करने को कहें की किसी भी संघटक संस्थान में कोई भी प्रसाशनिक,शैक्षणिक व वित्तीय तथा जो भी आवश्यक हो विश्वविद्यालय की पूर्व अनुमति आवश्यक है।