विनोद कोठियाल एवं कुलदीप एस राणा//
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकबजुमा की कुर्सी जिन गुप्ता बंधुओं के साथ संबंधों के चलते चली गई और जिन्हें दक्षिण अफ्रीका सरकार ने फरार घोषित करके उनके खिलाफ वारंट जारी कर दिए हैं, उन्हीं गुप्ता बंधुओं को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जेड सुरक्षा सुरक्षा दे रखी है। इतना बवाल हो जाने के बाद भी सरकार ने उनकी सुरक्षा वापस नहीं की है। उनके देहरादून स्थित घर पर अभी भी जेड सुरक्षा लगी हुई है। दो पूरी गार्द, दो कमांडर, दो पीएसओ और 6 पुलिसकर्मी अभी भी 7 कर्जन रोड स्थित उनके आवास पर हैं। फरार वारंटी के घर पर उत्तराखंड पुलिस का यह संरक्षण किसकी शह पर है, इसको लेकर जीरो टोलरेंस की सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार जेड सुरक्षा दिए जाने के पीछे प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय के एक नौकरशाह द्वारा बड़ी डील किए जाने की भी खासी चर्चा है।
इसमें सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि इन गुप्ता बंधुओं को जेड सुरक्षा दिए जाने के खिलाफ सचिवालय के समीक्षा और अनुभाग सेक्शन से विपरीत राय दी गई थी। यहां तक कि पुलिस मुख्यालय ने भी गुप्ता बंधुओं को जेड सुरक्षा दिए जाने का विरोध किया था। इसके बावजूद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शासन और गृह विभाग की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए इन गुप्ता बंधुओं को जेड सुरक्षा दे दी थी।
गुप्ता बंधुओं को 16 जून 2017 को शासन से जेड श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराए जाने के आदेश दिए गए थे। इससे पहले गुप्ता बंधुओं को वाई श्रेणी की सुविधा प्राप्त थी।
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार जब गुप्ता बंधुओं के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका में बवाल जोरों पर था और पुलिसिया कार्यवाही उनके खिलाफ चल रही थी, उस दौरान गुप्ता बंधु देहरादून के अपने 7 कर्जन रोड स्थित निवास स्थान पर सपरिवार आए हुए थे। गंगा स्नान के लिए गुप्ता बंधुओं के परिवार में विशेष आस्था है। गुप्ता बंधु 13 जनवरी 2018 को देहरादून आए थे और यहां से आज 16 फरवरी 2018 को चले भी गए।
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड सरकार में एक कद्दावर कैबिनेट मंत्री का भी गुप्ता बंधुओं से कारोबारी लेन-देन है। यह कैबिनेट मंत्री दक्षिण अफ्रीका आते-जाते रहते हैं। गुप्ता बंधुओं के देहरादून प्रवास के दौरान इन्हीं कैबिनेट मंत्री के नुमाइंदे गुप्ता बंधुओं की सारी आवाभगत की व्यवस्था संभालते हैं।
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार इसी नुमाइंदे की अगुवाई में पिछले साल सितंबर माह में इन्हीं कैबिनेट मंत्री के साथ गुप्ता बंधुओं की एक गोपनीय मीटिंग भी हुई थी। यदि गुप्ता बंधुओं को जेड सुरक्षा दिए जाने और इन कैबिनेट मंत्री के संबंधों की जांच हो जाए तो जीरो टोलरेंस की सरकार संकट में पड़ सकती है।
हवाला कारोबार से लेकर मनी लांड्रिंग तक में भी उत्तराखंड सरकार के कुछ नेता गुप्ता बंधुओं के साथ लिप्त बताए जा रहे हैं।
वर्तमान में जेड श्रेणी की सुरक्षा उत्तराखंड के राज्यपाल, मुख्यमंत्री को ही प्राप्त है। इसके बाद जेड श्रेणी की सुरक्षा सिर्फ बाबा रामदेव व चीफ जस्टिस, पूर्व जज धर्मवीर शर्मा के अलावा अनिल गुप्ता और अजय गुप्ता को ही प्राप्त है। एक ही परिवार में दो लोगों को जेड श्रेणी की सुरक्षा दिए जाने का औचित्य किसी भी आम आदमी की सामान्य समझ से बाहर की बात है।
उत्तराखण्ड की त्रिवेंद्र रावत सरकार भ्रष्टाचार के ‘जीरो टॉलरेंस’ का दावा करती है। सरकार का संकल्प है कि किसी भी प्रकार के भ्रष्ट आचरण को बर्दास्त नहीं किया जाएगा। दूसरी तरफ एक के बाद एक ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनके चलते सरकार के इस दावे की कलई खुलती जा रही है। चाहे एनएच 74 घोटाले की सीबीआई जांच से पीछे हटना हो या फिर सरकार में शामिल मंत्री की बेनामी संपत्ति के मामले में मुख्यमंत्री की खामोशी, त्रिवेंद्र सरकार हर दृष्टि से बैकफुट पर जाती दिख रही है।
सरकार में सब कुछ ठीक न होने का एक ताजातरीन मामला है दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल का एक परिवार जिसकी कारगुजारियों के चलते वहां के राष्ट्रपति जैकबजुमा को अपना पद गंवाना पड़ा है। इतना ही नहीं ‘गुप्ता ब्रदर्स’ नाम से कुख्यात भारतीय मूल के इस परिवार को अब दक्षिण अफ्रीका की विशेष पुलिस ‘हॉक’ ने छापेमारी कर गिरफ्तार करने की मुहिम छेड़ दी है। हैरतनाक बात यह कि ऐसे विवादित व्यापारियों को उत्तराखण्ड की त्रिवेंद्र सरकार ने सत्ता संभालने के साथ ही ‘जेड श्रेणी’ की सुरक्षा दे डाली। प्रश्न उठता है कि आखिर विदेशी नागरिकों को किस खुफिया रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने यह सुरक्षा दी?