नीरज उत्तराखंडी
उत्तरकाशी का सीमांत गाँव ओसला में जल संस्थान विभाग की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते ग्रामीण प्राकृतिक जल स्रोत से पानी भरने तथा ढोने को मजबूर है।विभाग द्वारा यहाँ बिछाई की पेयजल लाइन जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो चुकी है।विभाग तथा ठेकेदारों की मिलीभगत से मरम्मत तथा आपदा से क्षतिग्रत दिखाकर कई बार मरम्मत के नाम पर सरकारी धन को ठिकाने लगाया गया लेकिन नलों में पानी नहीं चला।हाल ही में जब जिला अधिकारी डा आशीष चौहान ने सीमांत गाँवों का भ्रमण किया तो विभाग में हडकम्प मच गया और आनन-फानन में पाइप लाइन को कामचलाऊ दुरूस्त किया गया ।
पाइप लाइन जगह-जगह लीकेज थी। खुली जमीन पर पडे पाइप जगह-जगह पानी का रिसाव इस बात की चुगली करते नजर आ रहे थे कि विभाग तथा विभागीय ठेकेदारों ने कितनी लापरवाही तथा मानकों को ताक पर रख कर पाइपलाइन की मरम्मत कर सरकारी धन को ठिकाने लगाया गया है । जबकि गाँव में निवास करने वाले 150परिवार गाँव में निकले प्राकृतिक स्रोत से पानी ढोने को मजबूर है ।आपदा के नाम पर पाइपलाइन को क्षतिग्रस्त दिखाकर मरम्मत के नाम पर काफी गोलमाल किया गया है ।इस संबंध में विभाग के अधिकारी भी कुछ कहने से बच रहे हैं ।इस संबंध में जब जल संस्थान के सहायक अभियंता एसएस रावत से पूछा गया कि ओसला पेयजल योजना के निर्माण और मरम्मत पर अब तक कितना धन खर्च किया तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया कि उनके पास इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।सारे कागज जिले में है।