गजेंद्र रावत
5 जुलाई 2017 को मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी धीरेंद्र सिंह पंवार ने प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन को एक पत्र, जिसका पत्रांक संख्या 189/वि.क.अ./सी.एम./2017 भेजा है। इस पत्र में धीरेंद्र सिंह पंवार ने वीरचंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार पौड़ी गढ़वाल के जनसंपर्क अधिकारी वीपी सिंह बिष्ट की उस शिकायत का संज्ञान लेने को कहा है, जिसमें बिष्ट ने आरआर सेमवाल अनुभाग अधिकारी कृषि एवं कृषि विपणन अनुभाग 2 की नकारात्मक कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। 29 जून 2017को वीपी सिंह बिष्ट ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को एक शिकायती पत्र अनुभाग अधिकारी आरआर सेमवाल के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए लिखा था। बिष्ट ने लिखित शिकायत की है कि सेमवाल ने जानबूझकर उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार की फाइलों और प्रस्तावों को महीनों तक रोक कर रखा। जिस कारण विश्वविद्यालय के कार्यों में अनावश्यक देरी हो रही है। बिष्ट ने उक्त पत्र में आरआर सेमवाल पर फाइल अथवा प्रस्ताव आगे बढ़ाने के एवज में विश्वविद्यालय के अधिकारियों से गलत अपेक्षाएं रखने के आरोप लगाए हैं। आरआर सेमवाल पर विगत ५ वर्षों से चल रहे निर्माण कार्यों की डीपीआर की टीएसी अप्रूव छायाप्रति मांगी गई थी, किंतु सेमवाल द्वारा विश्वविद्यालय अधिकारियों से कई तरह की पेशकश की गई। वीपी सिंह बिष्ट का आरोप है कि सेमवाल सरेआम रिश्वत लेने वाले अधिकारियों में है, जो सरकारी कार्मिकों से सरकारी फाइल बढ़ाने के लिए भी रिश्वत मांगता है। वीपी सिंह बिष्ट ने तत्काल आरआर सेमवाल को उक्त पद से हटाने की भी मांग की है। आरआर सेमवाल के इसी कृत्य को देखते हुए गंगोत्री के विधायक गोपाल सिंह रावत ने 3 जुलाई 2017 को सेमवाल को उक्त पद से हटाने की मांग की है, ताकि सचिवालय में फाइल दबाने के नाम पर चल रहा गोरखधंधा बंद हो सके।
देखना है कि जीरो टोलरेंस की त्रिवेंद्र रावत सरकार अब वीपी सिंह बिष्ट और विधायक गोपाल सिंह रावत की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री के ओएसडी द्वारा की संस्तुति पर क्या कार्यवाही करती है और किस प्रकार सचिवालय में फैले भ्रष्टाचार के इस मकडज़ाल को जीरो टोलरेंस से ध्वस्त करती है।