कुमार दुष्यंत /हरिद्वार//
सिखों के इस गुट का मानना है कि यही वह स्थल है जहां गुरुनानक देव ने विद्वान लोगों से साक्षात्कार कर ज्ञान का प्रकाश फैलाया था। अत:सरकार उन्हें इसी स्थान पर गुरुद्वारे के लिए जगह आवंटित करे।प्राचीन गुरुद्वारे के स्थान पर क्योंकि वर्षों पूर्व नगर पालिका द्वारा व्यावसायिक काम्प्लेक्स का निर्माण किया जा चुका है।इस लिए यहां गुरुद्वारे का निर्माण करना अब संभव नहीं है।
धर्मनगरी में वर्षों से की जा रही सिख-संगत की ज्ञानगोदडी गुरुद्वारे की स्थापना की मांग के विवाद को सुलझाने के लिए शासन ने नगर विकास मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी तो गठित कर दी है। लेकिन यह विवाद सुलझाना उतना आसान नहीं, जितना सरकार समझ रही है। हरिद्वार में पिछले कई वर्षों से सिखों द्वारा ज्ञानगोदडी गुरुद्वारे के निर्माण की मांग की जाती रही है। लेकिन सिखों के अलग-अलग गुटों में बंटे होने, निर्विवाद भूमि के न मिलने व सरकार की हीलाहवाली के चलते यह मामला सालों से लटका हुआ है। सरकार ने इसके लिए चौदह सदस्यीय कमेटी का गठन कर इस दिशा में एक कदम तो बढ़ाया है। लेकिन इस विवाद को थामने के लिए सरकार को अभी दूर तक चलना होगा।
क्या है विवाद?
सिख-समाज वर्षों से हरिद्वार में ज्ञानगोदडी गुरुद्वारे की मांग करता आ रहा है। राज्य गठन के बाद लगभग सभी सरकारें सिखों की इस मांग से जूझती रही हैं। लेकिन सिखों के अलग-अलग संगठनों द्वारा अलग-स्थानों पर की जा रही गुरुद्वारे की मांग व गुरुद्वारे के लिए उपयुक्त व निर्विवाद स्थल न मिलने के कारण यह मामला अबतक लटका हुआ है। सिखों के एक गुट का मानना है कि गुरुनानक देव ने ज्ञान की अलख हरकीपैडी पर जगाई थी। और हरकीपैडी पर संजय पुल बनने से पूर्व गुरुद्वारा मौजूद था। सिखों के इस गुट का मानना है कि यही वह स्थल है जहां गुरुनानक देव ने विद्वान लोगों से साक्षात्कार कर ज्ञान का प्रकाश फैलाया था। अत:सरकार उन्हें इसी स्थान पर गुरुद्वारे के लिए जगह आवंटित करे। प्राचीन गुरुद्वारे के स्थान पर क्योंकि वर्षों पूर्व नगर पालिका द्वारा व्यावसायिक काम्प्लेक्स का निर्माण किया जा चुका है। इसलिए यहां गुरुद्वारे का निर्माण करना अब संभव नहीं है। दूसरे गुरुद्वारे के लिए जितने स्थान की आवश्यकता है वह हरकीपैडी जैसे व्यस्त व सघन क्षेत्र में जुटाना मुश्किल है।
सिखों का एक दूसरा गुट पिछले एक साल से भी अधिक समय से सतपाल महाराज के प्रेम नगर आश्रम के सामने गुरुद्वारे की मांग को लेकर अनशन कर रहा है। इस अनशन स्थल पर अनशनरत सिखों ने अस्थायी तौर पर कब्जा कर लिया है। व वह इस भूमि को अब छोड़ने को तैयार नहीं हैं। सिंचाई विभाग की इस भूमि पर गुरुद्वारे की संभावना को देखते हुए अब आसपास की कालोनियों के नागरिक गुरुद्वारे के विरोध में खड़े हो गये हैं। उनका मानना है कि यहां गुरुद्वारे के निर्माण से आसपास रहने वालों की शांति भंग होगी। प्रेम नगर आश्रम का समर्थन भी कालोनी वासियों के साथ माना जा रहा है।
सिखों का तीसरा गुट हरिद्वार में कहीं भी भव्यतम गुरुद्वारे के निर्माण के लिए सरकार से भूमि की मांग कर रहा है।
क्या है ज्ञानगोदडी?
ज्ञानगोदडी वास्तव में वह स्थल है जहां सिखों की मान्यता के अनुसार गुरुनानक देव ने ज्ञानचर्चा कर ज्ञान का प्रकाश फैलाया। गुरुनानक 1507 में वैसाखी स्नान के लिए हरिद्वार आए थे। हरकीपैडी पर स्नान के दौरान जब उन्होंने लोगों को सूर्य की ओर जल चढाते देखा तो वो विपरीत दिशा में मुंह करके जल चढ़ाने लगे। जब लोगों ने उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा मैं अपने खेतों को जल दे रहा हूं। जब इस तरह तुम्हारा जल सूर्य को पहुंच सकता है तो मेरा, मेरे खेतों तक क्यों नहीं! इसके बाद वहां मौजूद विद्वान पुरोहितों ने गुरुनानक देव के पैर पकड़ लिए व उनसे ज्ञान पर चर्चा का आग्रह किया। इसी स्थल को ज्ञानगोदडी कहा जाता है। क्योंकि प्रसंग गंगा से जुड़ा है।इसलिए माना जाता है कि यह स्थल हरकीपैडी के आसपास रहा होगा।
सरकार की चुनौती?
सरकार के सामने पहले बड़ी चुनौती गुरुद्वारे की मांग कर रहे सिखों के सभी गुटों को एक मंच पर लाना है।अकेला यह काम ही सरकार के लिए आसान नहीं! दूसरे सिखों को हरकीपैडी पर गुरुद्वारे की मांग छोड़ने के लिए मनाना भी टेडी खीर है। यदि वह इसके लिए राजी हो गये तो फिर सिखों के सभी गुटों को गुरुद्वारे के लिए स्वीकार्य भूमि का चयन करना भी सरकार के लिए चुनौती रहेगा। फिलहाल यह कहा जा सकता है कि सिखों की धार्मिक भावनाओं से जुड़े इस मुद्दे पर सरकार ने समिति का गठन कर एक सार्थक पहल तो की है।
उधर कांग्रेस ने सारे मामले में भाजपा सरकार पर हीलाहवाली का आरोप लगाया है। कांग्रेस का आरोप सरकार समिति का गठन कर इस मामले को भी राममंदिर की भांति लटकाना चाहती है।