उम्मीद थी कि उत्तराखंड सरकार देश के प्रधानमंत्री तक रिस्पना की समस्या पंहुचने के बाद तो कम से कम हरकत में आयेगी और रिस्पना के हालात बदलेंगे लेकिन अब डेढ साल बाद एक बार फिर से वही गायत्री हमारे साथ है, सूबे में भी वहीं सरकार है, रिस्पना भी वहीं है, और क्या बदला है वो भी देख लीजिए..
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झूठा भगीरथ
आज हम आपको आज से तकरीबन ठीक डेढ साल पीछे ले चलते है और याद दिलाते हैं 26 मार्च 2016 को प्रसारित हुए प्रधान मंत्री के मन की बात कार्याक्रम का एक अंश जिसमे उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का जिक्र हुआ है।
प्रधान मंत्री मन की बात कार्यक्रम के इस एपिसोड में देहरादून की गायत्री ने रिस्पना में गंदगी की पीड़ा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साझा किया था, जिसके बाद देहरादून नगर निगम के साथ साथ उत्तराखंड सरकार की पोल खुल कर रह गई थी… इस मामले पर तत्कालीन देहरादून निगम के साथ साथ सरकार को भी मीडिया की आलोचनाओं का खूब सामना भी करना पड़ा था।
यही नही इस पूरे प्रकरण के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने एक कवायद भी शुरु हुई थी.. और रिस्पना को ऋषिपर्णा नाम पर रिस्पना के कायापलट की बात कही गई.. इसी साल 19 जुलाई को रिस्पना से ऋषिपर्णा नाम से अभियान चलाया गया और 250 लाख वृक्षारोपण इस दावे के साथ किये गये कि रिस्पना नदी एक बार फिर से स्वच्छ और साफ नदी की तरह बहने लगेगी… हालांकि पूरी नदी का जीर्णोद्धार इतना आसान और जल्दी संभव नही है लेकिन जिस समस्या का जिक्र गायत्री ने किया था, उम्मीद ये थी कि उस समस्या के संदर्भ में भी कुछ सुधार किये जाएंगे.. ज्यादा नही तो कम.. स्थाई नही तो अस्थाई ही सही लेकिन रिस्पना के नाम पर इतना ढोल पीटने के बाद भी धरातल पर क्या बदलाव हुआ है ये हम साफ देख सकते है आखिर कितना किया है सरकार और मुख्यमंत्री ने रिस्पना की सफाई के लिए….