अमित तोमर
यह 11 मिनट की वीडियो देख शायद रात आप सो ना सकेंगे, दिन चैन से न रह सकेंगे। मुख्यमंत्री से न्याय मांगती यह 15 साल की मासूम बच्ची जो कह रही है, वो सुन रोंगटे खड़े हो जाते हैं। गरीब के लिए ना पुलिस है, ना प्रशासन, ना सिस्टम और ना संविधान।
देखिए वीडियो
इस संवाददाता को इस बच्ची ने बताया कि उसे जबरन मोहम्मद मुनाजिर अपहरण कर बिहार ले गया, जहां बाकायदा इस बच्ची का झूठा निकाह पढ़ाया गया और मौलवी ने इस मुनाजिर को अपनी हवस मिटाने के लिए एक तोहफा पकड़ा दिया। बच्ची की आयु तब मात्र 12 वर्ष थी। 19 फरवरी 2015 से लेकर 10 जुलाई 2015 तक इस मासूम बच्ची को यह मुनाजिर नोचता रहा। बच्ची के माँ बाप देहरादून के पटेलनगर थाने के चक्कर लगाते रहे पर निकम्मी पुलिस हर बार उन्हें भगा देती।
अंततः यह विषय बजरंग दल तक पहुंचा और भारी दबाव के बाद पुलिस ने मुकदमा 37 दिन बाद दिनांक 26 मार्च 2015 को दर्ज किया (Crime No. 94 of 2015, P.S Patel Nagar)। मुकदमा लिखने के बाद भी जब पुलिस नही जागी, तब बजरंग दल कार्यकर्ताओं द्वारा अर्धनग्न होकर जिलाधिकारी कार्यलय देहरादून पर प्रदर्शन किया गया, साथ ही प्रधान मंत्री को भी विषय से अवगत कराया गया।
अभियुक्त को दिनांक 11 जुलाई 2015 को भारी दबाव के बाद गिरफ्तार किया गया परंतु इस बच्ची को तब भी मुक्त नही कराया जा सका और अभियुक्त के परिवार ने बच्ची को दिनांक 5 अगस्त 2015 तक बंधक बना बिहार में अपने कब्जे में रखा। पुलिस के दबाव में अन्तः बच्ची वापस आयी। तब से इस बच्ची का मुकदमा बजरंग दल संगठन लड़ रहा है।
दिनांक 4 सितंबर 2015 को उक्त मामले में पुलिस द्वारा आरोप पत्र माननीय न्यायालय (Special Judge POCSO Dehra Dun) में प्रेषित किया गया और SST NO. 60/2015 में ट्रायल शुरू हुआ। माननीय न्यायालय द्वारा जमानत अर्जी खारिज की गई पर लगभग दो वर्ष बाद अभियुक्त को उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दे दी गयी। न्यायालय द्वारा 50000 रु के दो जमानती मांगे गए और आरोपी के लिए भाड़े के जमानती पेश कर और उनका झूठा सत्यापन करवाकर उसे छुड़ा लिया गया। जमानत पाते ही आरोपी फ़रार हो गया।
माननीय न्यायालय ने मामले को बहुत गंभीरता से लिया और जमानत देने वालों के विरुद्ध कुर्की के आदेश दिए। पटेल नगर पुलिस का घिनोना चेहरा तब सामने आया जब खाकी के योद्धाओं ने जाने किन कारणों से अपने कर्तव्य से गद्दारी की। जमानत देने वाले के घर से टूटा फूटा 2-3 हज़ार का समान कुर्क दिखाया गया और उसकी सुपुर्दगी भी ग्राम प्रधान को दे दी गयी।
हद तो तब हो गयी जब दूसरे जमानत देने वाले से भी वही सामान कुर्क करना दर्शाया गया। माननीय न्यायालय ( Special Judge POCSO Dehradun) ने पुलिस की चोरी पकड़ ली और जमकर कोतवाली प्रभारी को लताड़ लगाई, माननीय न्यायालय ने न्याय करते हुए पुलिस महकमे के आला अधिकारियों को भी पटेल नगर थाने की हरकत से अवगत करवाया और अभियुक्त को शीघ्र ढूंढने को आदेशित किया। नमन करता हूँ ऐसे न्यायाधीश को जिन्होंने इस मासूम बच्ची की पीड़ा को समझ कठोर आदेश दिए।
गर्दन फँसती देख पटेल नगर पुलिस ने जमानत देने वालों पर दबाव बनाया और 1लाख रु की राशि कोर्ट में जमा करवा दी गयी।
अब यह सोचनीय प्रश्न है कि पैसा किसने दिया? क्योंकि जमानत देने वाले दलाल है।
इसके बाद भी पटेल नगर पुलिस नही जागी और कोर्ट को बताया कि अभियुक्त नही मिल रहा।
प्रश्न उठता है कि क्या एक लाख रुपये जमा करवाने से अभियुक्त/फ़र्ज़ी जमानत देने वालों को एक 12 साल की बच्ची से बलात्कार कर भागने की अनुमति मिल जाती है?
क्यों नाबालिग बच्चियों को इंसाफ दिलाने की बात करने वाले और ऐसे अपराधियों को फांसी का ऐलान करने वाला उत्तराखंड के मुख्यमंत्री मौन हैं।
राष्ट्रीय बजरंग दल ने सरकार शासन प्रशासन को रक्षाबंधन तक का समय दिया है। “या तो फरार आरोपी पकड़ो नही तो उत्तराखंड में प्रदेश व्यापी आंदोलन खड़ा होगा और रक्षा बंधन के दिन उत्तराखंड के हर जिला मुख्यालय पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार के पुतले जलाएंगे।” और तब तक लड़ा जाएगा, जब तक इस बलात्कारी को सज़ा नही मिल जाती।