11 जुलाई से 24 जुलाई तक चलने वाले जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़े पर ग्रहण लग गया है। उत्तराखंड सरकार ने पिछले वर्ष के विरोध के बावजूद सबक नहीं लिया। इसी का परिणाम है कि जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़े पर फिर से ब्रेक लग गया है।
आशा कार्यकर्त्रियों को पिछले वर्ष भी आशा निरोध के पैकेट वितरण के लिए दिए गए थे। पिछले वर्ष भी आशा वर्कर के विरोध की बाद पूरा स्टॉक वापस भेज दिया गया था। किंतु इस बार फिर से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आशा ब्रांड के कंडोम भेजे जाने से आशा वर्कर बेहद नाराज हैं।
इन्होंने स्वास्थ्य विभाग में इस बात को लेकर जमकर विरोध किया। आशा हेल्थ वर्कर यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल कहती हैं कि वे आशा ब्रांड के कंडोम का वितरण नहीं करेंगे।
यूनियन अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को कहा कि विरोध के बावजूद पिछले साल की गलती को दोहराना आशा बहनों का अपमान है। गौरतलब है कि आशा निरोध के नाम से कंडोम वितरण करने पर आशा वर्करों को क्षेत्र में काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है, क्योंकि गलत मानसिकता के लोग उनका मजाक बनाते हैं।
आशा वर्करों का कहना है कि सरकार को महिलाओं के सम्मान के लिए इस तरह की योजनाओं पर संवेदनशीलता से संशोधन करना चाहिए। कमला कुंजवाल ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को बताया कि उन पर ऐसे पैकेटों के वितरण का दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए।
प्रदेश में 11,000 से भी अधिक आशा वर्करों द्वारा इसके वितरण का विरोध करने पर स्वास्थ्य विभाग फिर से इस सामग्री को वापस भेजने पर विचार कर रहा है। सीएमओ डॉक्टर भारती राणा ने बताया कि आशा वर्करों के विरोध के बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।