मुखिया और मंत्रियों के बीच फिर घमासान के आसार
डबल इंजन की सरकार का पहला मार्च फाइनल चरम पर है। राजस्व एकत्र करने के मामले में पीछे चल रही सरकार में वित्त मंत्री प्रकाश पंत इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यदि तय लक्ष्य के अनुसार राजस्व प्राप्ति नहीं हुई तो
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उत्तराखंड में विकास कार्य तो दूर, वेतन भी कहां से दिया जाएगा। जीएसटी की मार से पहले से ही त्रस्त उत्तराखंड में खनन के अलावा आबकारी विभाग से अच्छी-खासी राजस्व की प्राप्ति होती है। आबकारी नीति को समय-समय पर इसीलिए सुविधा अनुसार बदला जाता रहा, ताकि तय लक्ष्य प्राप्त हो सके।
डबल इंजन की सरकार आने के बाद सरकार ने सबसे पहले नशामुक्ति का संदेश देते हुए पहाड़ों में शराब बिक्री का समय सुबह १० बज से शाम ५ बजे तक तय किया। इसके बाद शराब के शौकीन लोगों ने दिन में काम-धाम छोड़कर शराब की दुकानों के चक्कर काटने शुरू कर दिए। शाम ५ बजे तक तय किए गए समय से जब राजस्व घाटा होने लगा तो सरकार ने रोलबैक करते हुए फिर समय सीमा सुबह १० से रात १० बजे तक कर दी। सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के लिए आबकारी से २३०० करोड़ रुपए राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा था। बीच में राष्ट्रीय राजमार्गों पर शराब की दुकानें हटाने के न्यायालय के आदेश से एक बार फिर सरकार राजस्व प्राप्ति में पिछड़ती दिखी। किसी तरह सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों को जिला मार्ग बनवाकर फिर दुकानें खुलवाई। नई दुकानें भी स्वीकृत करवाई, ताकि राजस्व प्राप्त किया जा सके।
एक ओर तो आबकारी महकमा अपने तय लक्ष्य से २०० करोड़ रुपए पीछे चल रहा है तथा किसी भी तरह से लक्ष्य पूरा करने के प्रयास युद्ध स्तर पर चल रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री जनता को सार्वजनिक मंचों से नशा न करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार प्रकाश पंत आबकारी महकमे की एक मीटिंग लेते हुए लक्ष्य प्राप्त करने की समीक्षा कर रहे थे तो इसी बची किसी ने उनकेे मोबाइल पर एक वीडियो भेजा, जिसमें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नशामुक्त उत्तराखंड बनाने की न सिर्फ कसम खा रहे थे, बल्कि लोगों को भी शपथ दिला रहे थे। त्रिवेंद्र सिंह रावत कह रहे थे कि हम यहां से संकल्प लेकर जाएं कि जीवन में कभी नशा नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री के इस वीडियो को देखने के बाद प्रकाश पंत का मूड खराब हो गया कि एक ओर तो खुद आबकारी विभाग ही नहीं, बल्कि सरकार भी नीति के तहत तय लक्ष्य प्राप्त करने के लिए नए-नए बार और नई-नई अंग्रेजी और देशी शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति दे रही है, वहीं दूसरी ओर नशा न करने का भाषण देकर शौकीनों को उलझाया जा रहा है।