प्राइवेट वार्ड में गृहस्थी जमाकर किराया भत्ता भी उड़ा रहे डाक्टर साहब!

4350 रु. प्रति माह किराया भत्ता लेने के बाद भी रह रहा अस्पताल के प्राईवेट रूम मे

अस्पताल मे भर्ती नहीं है कोई मरीज, फिर भी दोपहर दो बजे के बाद भी लग रही स्टाफ की ड्यूटि

जरूरत के पंचकर्म सहायक नहीं है पर्याप्त

गिरीश गैरोला उत्तरकाशी

उत्तरकाशी मुख्यालय  मे मौजूद आयुर्वेदिक विभाग के पंचकर्म यूनिट के मरीजों के लिए बने हुए प्राइवेट रूम मे विभाग के मुखिया जिला आयुर्वेदिक अधिकारी अपना आवास बनाए बैठे हैं | ये अधिकारी सरकार से वेतन के साथ प्रतिमाह किराया भत्ता के रूप मे 4350 रु ले रहे हैं | मीडिया के आने की सूचना के बाद अधिकारी ने कमरे के बाहर रिटायरिंग रूम की पर्ची लगाकर कमरे को ताला बंद कर दिया |

पुरानी और असाध्य बीमारियों के इलाज के लिए  विख्यात इस केंद्र का उत्तराखंड मे टीआरपी मे जहां सबसे पहला स्थान है वहीं विभाग के मुखिया जिला आयुर्वेदिक अधिकारी मरीजों के लिए बने प्राईवेट रूम को अपना आवास बनाए बैठे हैं। यही नहीं वह वेतन के साथ प्रति माह किराया भत्ता के रूप मे 4350 रु लेकर सरकार को चुना भी लगा रहे हैं | जिले की वरिष्ठ कोषाधिकारी हिमानी स्नेहा ने इसकी पुष्टि की है |अस्पताल के रजिस्टर मे 9 मरीज भर्ती दिखाये गए हैं किन्तु मौके पर कोई मरीज नहीं दिखा और पूरा वार्ड  खाली था | ऐसे मे मरीजों के लिए बनाए गए प्राईवेट वार्ड को अधिकारी ने अपना आवास बना लिया |

तीसरी मंजिल पर स्थित  अस्पताल के उस प्राईवेट रूम नंबर  3 मे राशन का ड्रम , गैस का चूल्हा , चूल्हे पर रखी कड़ाही , आदि रखी हुई थी और  मरीज के बेड पर प्राइवेट चद्दर पड़ी हुई थी जो साबित करती है कि यहां अधिकारी ने अपना निजी आवास बना रखा है।  इतना ही नहीं मौके पर मौजूद और ड्यूटी  पर तैनात स्टाफ नर्स ने साफ तौर पर कहा  कि उनके अधिकारी अस्पताल मे ही निवास करते है |

जैसे ही जिला आयुर्वेदिक अधिकारी को मीडिया के आने कि सूचना हुई उन्होने तत्काल अपने आवास वाले कमरे के बाहर रिटायरिंग रूम की  चिट लगाकर कमरे को लाॅक  कर दिया ।और जब उनसे पूछा गया कि आप अस्पताल मे रहकर सरकार से किराया भत्ता भी ले रहे हैं तो उन्होने अपने आवास को डॉ का रिटायरिंग रूम बताकर पल्ला झाड़ने कि कोशिश की। किन्तु रिटायरिंग रूम मे कड़ाई, गैस चूल्हा और सिलिंडर और चूल्हे पर चढ़ी  कड़ाही क्या कर रही थी,  साथ ही स्टाफ नर्स द्वारा  दिये गए बयान को दिखाने  के बाद उनके पास कोई जबाब नहीं था।

स्टाफ नर्स कि मानें तो पंचकर्म यूनिट मे 9 इनडोर भर्ती मरीज रजिस्टर मे दर्ज हैं किन्तु जब मौके पर देखा गया तो बेड पर एक महिला लेटी  हुई थी जिसने खुद को अस्पताल की उपचारिका कमला बताया | ओपीडी के बाद दोपहर 2 से 8 बजे रात तक भी स्टाफ की ड्यूटि बराबर लग रही है जबकि अस्पताल मे  कोई भर्ती नहीं है। जबकि पंचकर्म सहायक जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत है वो महज दो पुरुष मरीजों के लिए और दो महिला मरीजों के लिए है जो कि पर्याप्त  नहीं है | पंचकर्म यूनिट मे सबसे ज्यादा काम इन्हीं  पंचकर्म सहायकों का है जिनकी सीमित तादाद के कारण इस पैथी  मे इलाज करने वालों को महीनों तक अपनी बारी का इंजजार करना पड़ता है। जबकि जिस स्टाफ कि जरूरत ही नहीं  उन्हे मोटा वेतन देकर मरीजों के साथ भद्दा मज़ाक किया जा रहा है |

पंचकर्म यूनिट की सीएमएस डॉ कुसुम उनियाल मानती है कि कि पंचकर्म  सहायक अधिक होंगे तो ज्यादा मरीजों को फायदा होगा

– पंचकर्म  पैथी से इलाज करने वाले मरीजों को डॉ की देखरेख मे अस्पताल मे भर्ती रहना जरूरी है ताकि उसके खानपान और परहेज पर नजर रखी जा सके, जानकारों की माने तो मरीजों के खाने के लिए बजट की व्यवस्था न होने के चलते इस पैथी का लाभ लेने वाले पढे लिखे वीआईपी मरीज दो बजे के बाद अपने घरों मे चले जाते हैं जबकि कागजों मे उनके भर्ती होने के नाम पर स्टाफ की ड्यूटि बराबर लग रही है। वहीं मरीजों के लिए बने प्राईवेट वार्ड का अधिकारी मजा ले रहे हैं ।

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