मंत्री पद ग्रहण करने के बाद से रोज नए फरमान जारी करके सुर्खियों में रहने वाले अरविंद पांडे का जलवा अब फीका पड़ने लगा है। अरविंद पांडे उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री है। उनकी दबंग छवि और रोज नए बयानों से पिछले दिनों निजी स्कूलों सहमे हुए थे किंतु अब लगता है उन्होंने शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का दमखम ठीक से परख लिया है।
यही कारण है कि निजी स्कूल फिर से अपनी मनमानी पर उतर आए हैं । थक हारकर अभिभावकों को ही स्कूलों से मोर्चा लेना पड़ रहा है। ऐसा ही एक निजी स्कूल स्प्रिंग हिल का मामला सामने आया है। स्प्रिंग हिल स्कूल का प्रबंधन अभिभावक से जबरन एनुअल फीस लेने के लिए दबाव बना रहा है तथा एनुअल फीस जमा न करने पर अभिभावक के बच्चों के साथ शर्मिंदगी भरा व्यवहार कर रहा है। पर्वतजन के हाथ लगा एक ऑडियो भी इस बात की तस्दीक करता है कि किस तरह से निजी स्कूल मौखिक तौर पर अभिभावकों से एनुअल फीस जमा करने के लिए दबाव बना रहे हैं स्प्रिंग हिल स्कूल में पढ़ने वाले छात्र तुषार की मम्मी से स्कूल प्रबंधन की ओर से एक महिला की बातचीत का एक ऑडियो स्कूलों की जबरन वसूली की कलाई खोल देता है।
मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून का कहना है कि कोई भी निजी स्कूल छात्रों से कैपिटेशन फीस अथवा एनुअल फीस नहीं ले सकता है । जिस बच्चे के अभिभावक का यह ऑडियो है वह शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत स्कूल में अध्ययनरत है। इस छात्र की समस्त तरह की फीस उत्तराखंड सरकार भुगतान करती है किंतु इसके बावजूद स्प्रिंगफील्ड स्कूल जबरन बच्चे के अभिभावक को फोन कर एनुअल फीस जमा करने के लिए दबाव बना रहे हैं। इस संबंध में स्कूल के मालिक भूपेंद् फरासी का पक्ष जानने के लिए उनके फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने पहले तो फोन उठाया लेकिन यह प्रकरण सुनने के बाद तुरंत फोन काट दिया और फिर कई बार फोन करने के बाद भी फोन नहीं उठाया। फिर काफी देर बाद उनका फोन आया तथा उन्होंने कहा स्कूल एनुअल चार्ज ले सकता है किंतु शायद मैडम को यह पता नहीं रहा होगा की उक्त छात्र आरटीई के अंतर्गत भर्ती हुआ है जबकि मुख्य शिक्षा अधिकारी इस तरह की फीस को साफ तौर पर गलत करार देते हैं जाहिर है कि दाल में कुछ काला जरूर है। स्कूलों की इस तरह की मनमानी के कारण अभिभावकों में बहुत रोष है लेकिन वह बच्चों के भविष्य को देखते हुए कोई कदम नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसे में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे को भी लाचार होकर कहना पड़ रहा है कि वह कोई शक्तिमान नहीं है बच्चों को अपनी व्यवस्था खुद करनी चाहिए ।इसलिए आडियो मे छात्र की मा ने शेरनी की तरह स्कूल प्रबंधन को जो तेवर दिखाए वह काबिले तारीफ है ।
ऐसा यदि सभी अभिभावक विरोध करें तो निजी स्कूलों पर नकेल लग सकती है। किंतु यदि प्रदेश का शिक्षा मंत्री कितना लाचार हो जाएगा तो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को शिक्षा माफिया के चंगुल से कौन बचा सकता है। यह ऑडियो मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस वाली नीति पर भी करारा तमाचा है।