उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को नैनीताल लोकसभा प्रत्याशी क्या बनाया गया कि उनके विरोधियों को उनके खिलाफ मानो साजिश रचने का मौका मिल गया।
भाजपा मुख्यालय से आज प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की नेम प्लेट हटा दी गई। नेम प्लेट हटाने से भाजपा के अंदर सियासत गरमा गई है। अजय भट्ट के समर्थकों में इससे काफी गुस्सा देखा जा रहा है।
कार्यकर्ता मुखर होकर कई तरह के सवाल कर रहे हैं कि आखिर प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए नेम प्लेट कैसे हटा दी गई !गौरतलब है कि अजय भट्ट के चुनाव में व्यस्तता की बात कहते हुए भाजपा ने नरेश बंसल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। पर्वतजन ने जब इसका कारण जानना चाहा तो बताया गया कि “भाजपा में तीन तरह के अध्यक्ष होते हैं, एक प्रदेश अध्यक्ष, एक कार्यकारी अध्यक्ष और एक कार्यवाहक अध्यक्ष।” किंतु जब यह प्रति प्रश्न किया गया कि ऐसे मे नेम प्लेट हटाने का क्या तुक है तो फिर भाजपा के दिग्गज नेताओं ने चुप्पी साध ली।
गौरतलब है कि इससे पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के कार्यालय से उनकी तस्वीर हटा कर कार्यकारी अध्यक्ष नरेश बंसल की तस्वीर लगा दी गई थी।
इसके पीछे यह समीकरण बताया जा रहा है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को वैसे ही एक साल का सेवा विस्तार दिया गया है और वह क्षेत्र से विधानसभा चुनाव भी हार चुके हैं।
ऐसे में समीकरण यह है कि यदि वह चुनाव जीत गए तो वह सांसद बनकर केंद्र की राजनीति में चले जाएंगे तो फिर उनका प्रदेश अध्यक्ष पद से हटना तय है।
दूसरा समीकरण यह है कि यदि वह चुनाव हार जाते हैं तो फिर वह पहले ही विधानसभा का चुनाव हारे हुए हैं और उनका कार्यकाल भी पूरा हो रहा है, ऐसे में उन्हें चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष नहीं रहने दिया जाएगा।
बताया जा रहा है कि भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव जुलाई महीने में होना है और ऐसे में नरेश बंसल की दावेदारी फुल टाइम प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पुख्ता करने के लिए अजय भट्ट की फोटो और नेम प्लेट प्रदेश कार्यालय से हटा दी गई है।
हालांकि भाजपा का कहना है कि चुनाव में व्यस्तता के चलते उनसे प्रदेश अध्यक्ष पद का दायित्व फिलहाल वापस लेकर कार्यकारी अध्यक्ष नरेश बंसल को सौंपा गया है।
यदि इस बात में दम है तो फिर सवाल यह है कि देश में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी चुनाव लड़ रहे हैं तो फिर वह कैसे राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हुए हैं और देश के कई राज्यों में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उनसे अध्यक्ष का दायित्व वापस नहीं लिया गया, ऐसे में मात्र 5 लोकसभा सीटों वाले उत्तराखंड में भला ऐसी भी क्या व्यस्तता है कि अजय भट्ट से यह दायित्व वापस ले लिया गया है !
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बहरहाल अंदर खाने क्या खिचड़ी पक रही है यह तो अभी अधिक स्पष्ट नहीं है लेकिन इतना जरूर है कि अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के अंदर अभी से खींचतान शुरू हो गई है और इसका असर लोकसभा चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं के उत्साह पर भी पड़ सकता है, जिसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ सकता है।