समौण इंसानियत की रंगोली आंदोलन एक सामाजिक मुहिम के तहत एक जनवरी २०१९ से लगातार बेसहारा लोगों की मदद की जा रही है। हर रात शहर के भिन्न भिन्न क्षेत्रों में जाकर मैं और मेरे साथ मेरी दोनों बेटियां मनस्विनी मैठाणी (13 वर्ष) व यशस्विनी मैठाणी (10 वर्ष) सड़क के किनारे, बस्तियों में अस्पताल में जाकर गरम कपड़े, कम्बल और रजाइयां बांटते हैं।
रंगोली आंदोलन एक सामाजिक एवं रचनात्मक मुहिम के संस्थापक शशि भूषण मैठाणी पारस कहते हैं कि आज महज 16 दिन हुए हैं और इस मुहिम को अब शहरवासियों का जोरदार सहयोग मिलने लगा है। बड़ी संख्या में लोग मुझे बुलाकर गरम कपड़े, कम्बल व रजाइयां समौण (उपहार) में भेंट कर रहे हैं।
इस मुहिम को बढ़ाने के लिए अब हमने आप सब सोशल मीडिया के एक्टिब सोशल यूजर से अपेक्षा की है कि सब मिलकर इस रचनात्मक अभियान को गति देंगे और अगर आपको उचित लगे तो आप भी हमारे इस सामाजिक रचनात्मक अभियान से संबंधित फोटो व पोस्ट को अवनि अपनी फेसबुक वॉल या व्हाट्सप्प पर भी अपलोड/फॉरवर्ड कर सकते हैं। आप सबके मार्फत लोगों से अपील कि वह अपने घरों में पहनने व ओढऩे योग्य गरम कपड़े गरीब व जरूरतमंद लोगों को समौण उपहार में दें।
मैंने अपने इस अभियान को समौण इंसानियत की नाम दिया है। दरअसल गढ़वाली में समौण किसी उपहार को कहा जाता है। ऐसे में अगर आजकल भयानक ठण्ड में ठिठुरते लोगों को गरम कपड़े समौण में भेंट करना इंसानियत का नमूना पेश करने जैसा काम होगा।
शशि भूषण मैठाणी कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि यह काम पहली मैं ही शुरू कर रहा हूं, बल्कि सच्चाई ये है कि मैं भी उन लोगों से प्रभावित हूं जो मुझसे पहले से ऐसा करते आ रहे हैं।
मेरी दोनों बेटियां मनस्विनी मैठाणी और यशस्विनी मैठाणी आजकल हर रोज रात के अंधेरे में मेरे साथ देहरादून की सड़कों पर समाजसेवा में हाथ बंटाती हैं। मेरी गाड़ी कोमल हृदय के लोगों द्वारा समौण में दिए गए गरम कपड़े, रजाई, कम्बल, स्वेटर आदि रहते हैं, जहां भी हमें कोई बेघर बेसहारा दिखता है, उसे हम तीनों अपने हाथों से कपड़े पहनाते हैं। अब बेटियों ने ऐसे लोगों की सेवा में एक नायाब आइडिया दिया है, जिस ओर जल्दी कार्य करेंगे।
अभी तक मिली समौण
डा. महेश कुडिय़ाल- 15 नई कम्बल
कुमकुम जैन डालनवाला- 3 रजाइयां
दीपक काम्बोज व दीपा काम्बोज व्यवसायी – एक दर्जन बच्चों के स्वेटर, तीन कम्बल, 6 पैंट बड़ों के लिए, 6 टोपी व दो दर्जन मौजे
प्रदीप रावत पत्रकार- एक बोरी गरम कपड़े अपने मौहल्ले से एकत्रित करके लाए
अरुण कुमार सरकारी कर्मचारी- एक दर्जन स्वेटर
इसी तरह से लगातार लोगों के फोन आ रहे हैं और वह घर पर बुलाकर कपड़े समौण (उपहार) में दे रहे हैं।
विपिन पुण्डीर व्यवसायी दो बैग गरम कपड़े
अंकुश थपलियाल जोगीवाला एक बोरी कपड़े
शशि भूषण मैठाणी पारस ने आप सभी से भी समौण ‘इंसानियत’ की मुहिम से जुडऩे की अपेक्षा की है।