नीरज उत्तराखंडी/उत्तरकाशी
करडा- पुजेली नहर नहर में पानी न चलने से किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। किसान पीठ पर पानी ढो कर नकदी फसलों की सिंचाई कर रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक करडा-पुजेली नहर का निर्माण 1985-86को हुआ जिसकी लम्बाई 6.050 किमी है। इस नहर से चार गाँव की 14 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होती है। लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि ग्रामीणों को गाड़-गदेरों से पीठ पर पानी ढोकर नगदी फसलों की सिंचाई करनी पड रही हैं।
सिंचाई विभाग द्वारा क्षेत्र में नहरों की मरम्मत न करने से कास्तकारो में भारी रोष व्याप्त है। नहरों पर पानी न चलने के कारण धान की पौधे सूखने की कगार पर है। कास्तकारो गाड़ी गदेरो से पानी ढोकर धान की नर्सरी की सिंचाई कर रहे है।कास्तकारो ने एसडीएम को पत्र लिख कर शीघ्र नहरों की मरम्मत न करने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
क्षेत्र की करड़ा पुजेली नहर की मरम्मत न होने के कारण करड़ा, दणमाणा,मैराणा, शिकारू आदि गाँव में कास्तकारो की धान की पौधे सूखने की कगार पर है। ग्रामीणों ने उपजिलाअधिकारी को लिखे पत्र में कहा है कि वन निगम के कार्यों से करड़ा पुजेली नहर गत वर्ष से क्षतिग्रस्त हो रखी है,उन्होंने कहा कि धान की रोपाई का सीजन आ गया है। किसानों की बीन एवं टमाटर की फसलें पहले ही बिना पानी बर्बाद हो गई है अब धान की पौधे भी सूखने की कगार पर है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कई बार विभाग के अधिशासी अभियंता को अवगत करा दिया गया है लेकिन कोई भी कार्रवाई नही की जा रही है। उन्होंने शीघ्र नहर की मरम्मत न करने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। पत्र में ग्राम प्रधान मैराणा सेमानी देवी,क्षेत्र पंचायत करड़ा रणदास,उपेंद्र सिंह,विरेंद्र,गुरु देव, पूर्ण सिंह, अमीन सिंह, सरदार सिंह, अष्टमी सिंह,जयवीर सिंह आदि के हस्ताक्षर है।सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता विकास श्रीवास्तव ने बताया कि बजट न होने के कारण नहरों की मरम्मत नहीं हो पा रही है। करड़ा पुजेली नहर पर शीघ्र ही अस्थाई कार्य कर पानी चलाया जाएगा।वही पीठ पर पानी ढोकर सिंचाई कर रहे किसानों ने एसडीएम को भेजे ज्ञापन में नहर से पानी उपलब्ध करवाने की मांग की है।
ग्रामीणों का कहना है कि करडा-पुजेली नहर वन निगम नेे जंगल कटान के दौरान पेड़ो के नहर पर गिरने से जगह-जगह टूट चुकी है। जिससे नहर में पानी नहीं चल पा रहा है। करडा,खलाडी,दडमाणा, पुजेली,चपटाडी ,मैराना के ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि उन्होंने इस संबंध में विभाग को कई बार अवगत कराया लेकिन को सुनाई नहीं हुई। दूसरी ओर विभागीय अधिकारी का कहना है कि उनके पास पुनर्निर्माण मद में कोई वजट न होने से यह सिथति पैदा हुई है । शीघ्र नहर की मरम्मत कर किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाया जायेगा।