पर्वतजन
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
पर्वतजन
No Result
View All Result

Home पर्वतजन

वीआईपी जिलों के अभागे मतदाता

August 4, 2016
in पर्वतजन
ShareShareShare

पौड़ी और अल्मोड़ा जनपद के मतदाताओं के वोटों से वीआईपी और वीवीआईपी बनने वाले सफेदपोशों ने यदि पलटकर अपने मतदाताओं की ओर देख लिया होता तो आज ये दोनों जिले खाली होने की कगार पर न पहुंचते।

गजेंद्र रावत

o-HARISH-RAWAT-facebookआजादी से पहले ही वीवीआईपी श्रेणी के अल्मोड़ा और पौड़ी आज एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पौड़ी गढ़वाल को इतिहास में ब्रिटिश गढ़वाल के रूप में जाना गया, जहां अंग्रेजों की खूब कृपा बरसी। ब्रिटिश गढ़वाल के रूप में विख्यात पौड़ी को तब कमिश्नरी का दर्जा हासिल था। उस दौर में पौड़ी में मैसमोर हाईस्कूल की कल्पना अंग्रेजों की ही थी। यही हाल अल्मोड़ा जिले का आजादी से पहले भी था। अंग्रेजों ने नैनीताल के बाद अपना पूरा फोकस अल्मोड़ा के विकास पर लगा दिया था और अल्मोड़ा को भी पृथक मंडल का दर्जा उस दौर में हासिल था।
अधर में अल्मोड़ा
उत्तराखंड के दोनों मंडलों के एक-एक जिले आजकल चर्चाओं में हैं। यह चर्चा तब शुरू हुई, जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने स्वयं की बजाय प्रदीप टम्टा को राज्यसभा भेजे जाने पर तीखी प्रतिक्रिया दर्ज की। प्रदीप टम्टा अल्मोड़ा जिले के रहने वाले हैं और उन्हें हाल ही में राज्यसभा भेजा गया। इससे पहले प्रदीप टम्टा इसी जिले से दो बार विधायक और एक बार लोकसभा सांसद भी चुने गए। अल्मोड़ा लोकसभा सीट से लोकसभा के सदस्य अजय टम्टा भी अल्मोड़ा के ही निवासी हैं, जिन्हें हाल ही में केंद्र सरकार में राज्य मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। अजय टम्टा उत्तराखंड में भाजपा सरकार के दौरान काबीना मंत्री रह चुके हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत भी अल्मोड़ा के ही रहने वाले हैं। हरीश रावत यहीं से तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए। हरीश रावत एक बार राज्यसभा सांसद व कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहने के साथ-साथ भारत सरकार में काबीना मंत्री व विभिन्न समितियों के सदस्य भी रह चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे गोविंद बल्लभ पंत की जन्मभूमि भी अल्मोड़ा रही है। उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट भी अल्मोड़ा के निवासी हैं। अजय भट्ट अंतरिम सरकार में सूबे के काबीना मंत्री भी रह चुके हैं। उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल तिवारी सरकार में उद्यान मंत्री रह चुके हैं। संसदीय सचिव मनोज तिवारी और मदन बिष्ट भी अल्मोड़ा से ही आते हैं। केंद्र सरकार में अल्मोड़ा में पहली बार प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में अल्मोड़ा से सांसद बची सिंह रावत को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान प्राप्त था। मुख्यमंत्री से लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के ताकतवर लोगों का अल्मोड़ा जिले से होना अल्मोड़ावासियों के लिए सौभाग्य का विषय होना चाहिए था और इतने ताकतवर लोगों के बाद वास्तव में अल्मोड़ा जिले में विकास की गंगा बहती दिखनी चाहिए थी, किंतु २०११ की जनगणना में पलायन की जो तस्वीर सामने आई है, उसमें अल्मोड़ा जिले को पलायन का दूसरे नंबर पर सबसे बड़ा दंश झेलना पड़ा है। यदि इतने वीआईपी लोगों ने अल्मोड़ा जिले के लिए कुछ भी किया होता तो आज पलायन की यह रफ्तार अल्मोड़ा में इतनी तेज न होती। आज जिस तेजी से अल्मोड़ा जिले में पलायन जारी है, वह इस बात की पुष्टि करता है कि वास्तव में इस जनपद में धरातल पर अभी काम होने बाकी हैं।
पौड़ी की पीड़ा
अल्मोड़ा जिले को वीवीआईपी जनप्रतिनिधियों से यदि प्रदेश में कोई जिला टक्कर दे रहा है तो वह गढ़वाल का पौड़ी जिला है। उत्तराखंड बनने के बाद पौड़ी जिले से सर्वाधिक पलायन हुआ है। पलायन की मार ने पौड़ी जनपद को खोखला कर दिया है। यह वही जिला है, जहां आज सर्वाधिक घरों में ताले पड़े हुए हैं। जिस प्रकार अल्मोड़ा जिले को वीआईपी जिले का दर्जा सिर्फ इस कारण दिया जा रहा है कि उस जनपद से तमाम बड़े जनप्रतिनिधि बड़े-बड़े पदों पर विराजमान हैं, ठीक उसी तरह पौड़ी जिले की भी स्थिति है। पौड़ी जिले के तीन जनप्रतिनिधि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। भुवनचंद्र खंडूड़ी, रमेश पोखरियाल निशंक और विजय बहुगुणा तीनों ही पौड़ी जनपद के रहने वाले हैं। विजय बहुगुणा के स्व. पिता हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। हेमवती नंदन बहुगुणा का कद इस बात से समझा जा सकता है कि वे हिंदुस्तान के एकमात्र ऐसे नेता हुए, जिन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को नाकों चने चबवा दिए थे। हेमवती नंदन बहुगुणा भारत सरकार में भी मंत्री रहे। भुवनचंद्र खंडूड़ी के गांव मरगदना, विजय बहुगुणा के बुघाणी और रमेश पोखरियाल निशंक के पिनानी की तस्वीर कमोवेश आज भी वही है, जो उत्तराखंड बनने से पहले थी। अर्थात इन लोगों ने अपने गांवों तक को भी प्राथमिकता नहीं दी। रमेश पोखरियाल निशंक उत्तर प्रदेश के दौरान ताकतवर पदों वाले काबीना मंत्री रहे। उत्तराखंड सरकार में दो बार उन्हें काबीना मंत्री का पद प्राप्त हुआ।
पौड़ी जनपद के इन तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों ने पौड़ी को विकास की क्या दशा और दिशा दिखलाई, यह सरकारी आंकड़ों में साफ-साफ दिखाई देता है। ये नहीं कि पौड़ी से मात्र यही प्रतिनिधि बड़े पदों पर रहे हों। उत्तर प्रदेश के साथ रहते हुए भी पौड़ी जनपद को राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार में हमेशा प्रतिनिधित्व मिलता रहा। १९९६ में पहली बार सांसद बने सतपाल महाराज भारत सरकार में रेल मंत्री बने। उनसे पहले भुवनचंद्र खंडूड़ी एनडीए सरकार में दो बार भू परिवहन व सड़क जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय के काबीना मंत्री रहे। जगमोहन सिंह नेगी से पहले उनके पिता चंद्रमोहन सिंह नेगी और भक्तदर्शन सिंह रावत भी पौड़ी से होने के कारण उत्तर प्रदेश सरकार व भारत सरकार में मंत्री रहे। उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड में काबीना मंत्री व नेता प्रतिपक्ष जैसे पदों पर रहे हरक सिंह रावत भी पौड़ी के ही मूल निवासी हैं। हरक सिंह रावत का गहड़ गांव भले ही श्रीनगर शहर से कुछ ही दूर हो, किंतु इस गांव में भी अधिकांश घरों में ताले पड़े हुए हैं। वर्तमान में हरक सिंह रावत की पत्नी भी पौड़ी से जिला पंचायत की अध्यक्ष है। चार बार के विधायक और दो बार के काबीना मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी से लेकर काबीना मंत्री रही लगातार तीसरी बार की विधायक विजय बड़थ्वाल, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व मंत्री रहे तीरथ सिंह रावत भी पौड़ी के ही निवासी हैं। विजय बड़थ्वाल लगातार तीन बार विधायक और काबीना मंत्री होने के बावजूद अपनी ग्रामसभा किनसुर की तस्वीर भी नहीं बदल पाई है।
उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक मंत्री रहे नरेंद्र सिंह भंडारी को विधायक से लेकर काबीना मंत्री होने का सौभाग्य पौड़ी के मतदाताओं के कारण ही संभव हो सका। उत्तर प्रदेश में काबीना मंत्री रहे शिवानंद नौटियाल भी पौड़ी के ही निवासी रहे हैं।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए सतपाल महाराज दो बार सांसद और एक बार केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। उनकी पत्नी अमृता रावत को उत्तराखंड में दो बार काबीना मंत्री के रूप में काम करने का अवसर मिला है। दो बार के विधायक और एक बार के सांसद टीपीएस रावत भी पौड़ी के मूल निवासी हैं। पौड़ी से दूसरी बार विधायक सुंदरलाल मंद्रवाल मुख्यमंत्री के सलाहकार हैं तो उन्हीं की बगल की विधानसभा श्रीनगर से गणेश गोदियाल भी दूसरी बार विधायक होने के साथ-साथ संसदीय सचिव और बीकेटीसी के अध्यक्ष भी हैं।
इन तमाम बड़े चेहरों को देखकर ऐसा महसूस होता है कि पौड़ी वास्तव में उत्तराखंड के सबसे विकसित जिलों में से होगा, किंतु इन तमाम लोगों का नसीब लिखने वाले मतदाताओं का दुर्भाग्य देखिए कि उन्हें आज शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति के लिए जनपद छोड़कर जाना पड़ रहा है।

2011 की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा जिले के 36401 और पौड़ी के 35,654 घरों पर ताले लटके हुए हैं। ये सरकारी आंकड़े इन दोनों जनपदों के वीआईपी होने की वास्तविक तस्वीर से जनता को रूबरू कराते हैं।

पलायन की मार ने पौड़ी जनपद को खोखला कर दिया हैं। जिस प्रकार अल्मोड़ा जिले को वीआईपी जिले का दर्जा सिर्फ इस कारण दिया जा रहा है कि उस जनपद से तमाम बड़े जनप्रतिनिधि बड़े-बड़े पदों पर विराजमान हैं।

मतदाताओं से दगाबाजी
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने २००९ में अल्मोड़ा जिले से तब किनारा कर लिया, जब अल्मोड़ा संसदीय सीट रिजर्व हो गई। हरीश रावत ने तब हरिद्वार की राह पकड़ी और वे हरिद्वार से सांसद चुने गए। २०१४ में उनकी पत्नी रेणुका रावत भी हरिद्वार से ही लोकसभा चुनाव लड़ी। इससे पहले ये दोनों लगातार चार बार अल्मोड़ा संसदीय सीट से हारते जा रहे थे। चार बार पौड़ी से विधायक, मंत्री व मुख्यमंत्री बनने वाले रमेश पोखरियाल निशंक ने भी २०१२ में पहाड़ को बाय-बाय कर दिया और पहले डोईवाला विधानसभा और फिर हरिद्वार लोकसभा के लिए चुने गए। हरक सिंह रावत ने भी राजनीति की शुरुआत पौड़ी से ही की, किंतु बाद में वे रुद्रप्रयाग चले गए और अब मैदान से लडऩे की तैयारी में हैं। इन दोनों जनपदों के बड़े पदों पर रहे जनप्रतिनिधियों ने मैदानी क्षेत्रों में अपने लिए आशियाने बना लिए हैं और धीरे-धीरे इन सबका पहाड़ से लगाव घटता जा रहा है।


Previous Post

जुगाड़ के भरोसे बिजली!

Next Post

एडवांस इलाज के सेंटर

Next Post

एडवांस इलाज के सेंटर

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *






पर्वतजन पिछले २3 सालों से उत्तराखंड के हर एक बड़े मुद्दे को खबरों के माध्यम से आप तक पहुँचाता आ रहा हैं |  पर्वतजन हर रोज ब्रेकिंग खबरों को सबसे पहले आप तक पहुंचाता हैं | पर्वतजन वो दिखाता हैं जो दूसरे छुपाना चाहते हैं | अपना प्यार और साथ बनाये रखिए |
  • बिग ब्रेकिंग: कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले ..
  • हाईकोर्ट सख्त: नाबालिग से दुष्कर्म मामले में सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर SSP से मांगी रिपोर्ट। अभद्र पोस्टों की जांच के निर्देश..
  • बड़ी खबर : गोल्डन कार्ड धारकों की परेशानी जल्द होगी दूर। स्वस्थ मंत्री ने दिए सख्त निर्देश..
  • अपराध : तमंचे के बल पर नाबालिग से दुष्कर्म। आरोपी गिरफ्तार ..
  • हाइकोर्ट न्यूज: हेलीकॉप्टर लीज घोटाले में 9.5 लाख रुपये लौटाने का आदेश..
  • Highcourt
  • उत्तराखंड
  • ऋृण
  • निवेश
  • पर्वतजन
  • मौसम
  • वेल्थ
  • सरकारी नौकरी
  • हेल्थ
May 2025
M T W T F S S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  
« Apr    

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

error: Content is protected !!