सचिवालय में कुछ समय पहले सचिवालय प्रशासन ने कड़े नियम कायदों की बात करते हुए समीक्षा अधिकारी और अनुभाग अधिकारियों के ट्रांसफर किए थे और बाकायदा कुछ मानक निर्धारित किए थे। लेकिन चहेतों के लिए सचिवालय प्रशासन ने खुद ही यह नियम कायदे तोड़ दिए हैं। यानी rules for fools का नियम लागू है।
आज 18 जनवरी को सचिवालय प्रशासन ने कार्मिक अनुभाग-1 मे दिशांत नामक समीक्षा अधिकारी की तैनाती की है। अभी छह महीने पहले ही दिशांत युवा कल्याण अनुभाग में तैनात हुए थे।
छह महीने पहले हुई तैनातियों के दौरान सचिवालय प्रशासन ने स्पष्ट नियम-कायदे तय किए थे कि कोई भी अधिकारी कर्मचारी नियम कायदों को नहीं तोड़ेगा और ना ही कोई दबाव डलवाएगा। साथ ही जिस की तैनाती जिस विभाग में की जाएगी, उसे उस विभाग में 3 साल तक तैनात रहना होगा और 5 साल से पहले किसी भी कार्मिक को उसका पुराना विभाग वापस नहीं मिलेगा।
आज हुए ट्रांसफर में श्री दिशांत की तैनाती छह महीने पहले कार्मिक अनुभाग-1 में ही थी और वह एक डेढ़ साल कार्मिक में रह चुके हैं। सवाल यह है कि जब छह महीने पहले दिशांत को युवा कल्याण अनुभाग सौंपा गया तो फिर छह महीने में ही बदल कर उन्हें दोबारा से कार्मिक अनुभाग-1 में तैनाती कैसे दे दी गई। जबकि वह पहले डेढ़ साल कार्मिक अनुभाग-1 में रह चुके हैं।
छह माह पहले सचिवालय प्रशासन के सचिव आनंद वर्धन ने यह मानक और नियम लागू किए थे। उनके जाते ही नए सचिव सचिवालय प्रशासन हरबंस सिंह चुग ने पुराने नियम कायदों को ताक पर रख दिया है। इसके अलावा हाल ही में कार्मिक अनुभाग-1 में तैनात हुए समीक्षा अधिकारी गोविंद चौहान को युवा कल्याण अनुभाग में तैनाती दी गई है।यह अनुभाग दिशांत से वापस कर दिया गया है।
संयुक्त सचिव महावीर सिंह चौहान के आदेश से जारी इस ट्रांसफर पोस्टिंग पर सचिवालय में अन्य कार्मिकों में भी मनचाही और मलाईदार पोस्टिंग वापस पाने की आस जग गई है। और वह भी किसी न किसी पहुंच वाले मंत्री अथवा अफसर के माध्यम से पुरानी तैनातियों के लिए मचलने लगे हैं जाहिर है कि जब सचिवालय प्रशासन अपने नियम-कायदों को खुद ही तोड़ देगा तो अराजकता फैलनी स्वभाविक है। ऐसे में यह बात प्रचलन में आ रही है कि पहुंच के बल पर मनचाही पोस्टिंग पाई जा सकती है।
ऐसे में कार्मिक अनचाहे विभागों में तैनाती के बाद पूरे मन से काम नहीं कर रहे हैं और जुगाड़ में लगे हुए हैं। सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना है कि एक बार नियम-कायदे बन जाए तो सभी पर यह नियम कायदे लागू होने चाहिए और इनका कड़ाई से पालन भी किया जाना चाहिए। देखना यह है कि आज की ताजा तैनातियों के बाद अन्य कार्मिकों का क्या रुख रहता है। कुछ ही दिन में सूत्रों के अनुसार कार्मिक में चहेते अनुभाग अधिकारी लाए जाने की भी तैयारी हो रही है कार्मिक जैसे संवेदनशील पद पर पुराने कर्मचारी की फिर से तैनाती से सचिवालय में यह सुगबुगाहट भी शुरू हो गई है कि इस तैनाती के पीछे कुछ विशेष अफसरों को भ्रष्टाचार आदि में फंसाने और कुछ और विशेष अफसरों को भ्रष्टाचार के आरोपों से बचाए रखने के लिए तैनाती को किया गया है। नियम के विपरीत हुए इस संवेदनशील तैनाती से सचिवालय की सुगबुगाहट को बल भी मिल रहा है।