मानवाधिकार कार्यकर्ता, आरटीआई एक्टिविस्ट और पत्रकार भूपेंद्र कुमार के पत्र का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सरकार को सफाई कर्मियों के सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि देहरादून नेहरू कालोनी निवासी भूपेंद्र कुमार ने नैनीताल हाईकोर्ट को बीते ८ सितंबर २०१८ को पत्र भेजा था। उक्त पत्र जिला देहरादून में सफाई कर्मियेां से नंगे हाथों बिना सुरक्षा उपकरणों मास्क आक्सीजन सिलेंडर दस्ताने आदि तथा बिना स्वास्थ्य बीमा के मेनहोल गटरों में उतारकर कार्य करवाए जाने से संबंधित था। उन्होंने तर्क देते हुए लिखा था कि इस कारण सफाई कर्मचारियों में गंभीर प्रकार की बीमारियां फैलने के साथ-साथ उनके जान-माल का भी खतरा बना रहता है, क्योंकि कई बार मेनहोल गटर के अंदर से जहरीली गैसों का रिसाव भी हो जाता है और मास्क, आक्सीजन सिलेंडर न होने के कारण सफाई कर्मचारियों की जान पर भी बन सकती है। इस तरह नंगे हाथों बिना दस्तानों के कारण सफाई कर्मचारियों के साथ खिलवाड़ होता है। पत्र में यह भी लिखा गया था कि लोगों के सामने अपनी गंदगी भी पड़ी हो तो वह काफी दूर से नाक-मुंह पर कपड़ा रखकर खड़े रहते हैं, जबकि सफाईकर्मी दूसरों की गंदगी नंगे हाथों बिना उपकरणों के ही साफ करते हैं, जो कि अमानवीय ही नहीं, अपराध भी है।
हाईकोर्ट नैनीताल के कार्यवाही मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की संयुक्त खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोर्ट मार्च २०१७ में एक जनहित याचिका में इस मामले में प्रदेश सरकार को व्यापक दिशा-निर्देश दे चुकी है। इसमें सफाई कर्मचारियों को सर्दियों और गर्मियों के लिए अलग से वर्दी, जूते, दस्ताने व अन्य सुरक्षा उपकरण देने के निर्देश दिए थे। अदालत ने पुन: भूपेंद्र कुमार की याचिका पर एक बार फिर से सुनवाई करते हुए सरकार को सफाई कर्मचारियों को पर्याप्त सुविधाओं के साथ ही पूर्व में दिए गए आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है।