न्यायालय द्वारा एक माह के भीतर देहरादून शहर को अतिक्रमण मुक्त करने के आदेश की तय सीमा कल समाप्त होने जा रही है। हाईकोर्ट के आदेश पर देहरादून के फुटपाथ और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हटाने का अभियान अचानक धीमा पड़ गया तो इस पर तमाम तरह के कयास लगने शुरू हो गए। देहरादून के जोगीवाला स्थित रिंग रोड से लेकर रिस्पना पुल, धर्मपुर, आराघर, करनपुर, रायपुर, प्रिंस चौक होते हुए अभियान घंटाघर पहुंच गया, किंतु उससे दो सौ मीटर पहले सजी अतिक्रमण वाली दुकानों पर अतिक्रमण हटाओ अभियान के कर्ता-धर्ताओं ने क्यों नजरें इनायत की, इस पर अभी कोई बोलने को राजी नहीं।
देहरादून के बीचोंबीच घंटाघर स्थित बीएसएनएल दफ्तर के बाहर सजे बाजार का अतिक्रमण नहीं हटाया गया। पर्वतजन ने इस बारे में तस्दीक की तो पता चला, बीएसएनएल दफ्तर के बाहर जो दुकानें सड़क पर बनी हुई हैं और पूरी तरह से अतिक्रमण की जद में हैं, में से दो दुकानें उन्हीं सुनील उनियाल गामा की हैं, जो दिन-रात मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के गले में टंगे हुए विभिन्न सरकारी और गैरसरकारी कार्यक्रमों के मंचों पर दिखाई देते हैं। आज तक कभी कोई चुनाव न जीत पाने वाले सुनील उनियाल गामा कुछ दिनों पहले तक शाम को इन्हीं दुकानों में बैठकर बीएसएनएल कर्मचारियों और सड़क पर चलने वालों को गर्मागर्म चाउमिन और मोमो बेचते थे।
त्रिवेंद्र रावत, सुनील उनियाल गामा को साम, दाम, दंड, भेद अपनाकर देहरादून का मेयर बनाने को आतुर हैं। इसीलिए उन्होंने देहरादून मेयर सीट का आरक्षण सामान्य सीट का करवाया और गामा को लेकर देहरादूनभर में घूम रहे हैं।
अतिक्रमण कर बनी जो दो दुकानें सुनील उनियाल गामा की हैं, उसके ऊपर सुनील उनियाल गामा ने प्रधानमंत्री मोदी और त्रिवेंद्र रावत का फोटो लगा अवैध होर्डिंग भी लगा रखा है, जिसमें वे लोगों से योग करने की अपील कर रहे हैं। यह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का गामा पर वरदहस्त ही है कि देहरादून के मुख्य मार्गों के तीन हजार से अधिक अतिक्रमण ध्वस्त कर दिए गए, किंतु सुनील उनियाल गामा के अतिक्रमण को बख्श दिया गया।
देखना है कि अब सरकार न्यायालय में इस पर क्या जवाब देती है।