बीआरओ के कमांडर सुभाष लूनीया खींच गए एक लंबी रेखा
नए कमांडर के लिए नयी चुनौती
चीन सीमा के साथ गंगोत्री धाम के लिए सड़क निर्माण की ज़िम्मेदारी संभालता है बीआरओ
गिरीश गैरोला
- उत्तरकाशी जनपद की तरफ से गंगोत्री तीर्थ धाम के साथ चीन सीमा को जाने वाले सड़क मार्ग की ज़िम्मेदारी देख रहे बीआरओ के कमांडर सुभाष लूनीया सितंबर प्रथम सप्ताह मे ट्रान्सफर पर चले गए है। अपने उत्तरकाशी प्रवास के महज दो वर्षो के छोटे कार्यकाल मे सुभाष लूनीया ने नए कीर्तिमान स्थापित किए।
सबसे महत्वपूर्ण बीआरओ की जनता के बीच मे खराब इमेज को ठीक करने का काम किया।गौरतलब है कि वरुणवात त्रासदी के समय से ही बीआरओ की जनता और जिला प्रशासन के बीच तनातनी का माहोल शुरू हो गया था।
उसके बाद वर्ष 2012 और 13 की आपदा के बाद तनातनी और बढ़ गयी। यही कारण रहा कि सड़क चौड़ीकरण और बार्डर रोड के निर्माण की ज़िम्मेदारी बीआरओ से हटाने की मांग ने ज़ोर पकड़ा और केन्द्रीय स्तर पर एनएचआईडीसीएल को इसकी ज़िम्मेदारी देने का पूरा मन बना लिया गया।
कमांडर सुभाष लूनीया ने सबसे पहले अपने काम से न सिर्फ अपनी बल्कि बीआरओ की इमेज को सुधार कर जनता के बीच विश्वास पैदा किया और साबित किया कि काम ही पहचान है। चार धाम यात्रा की बात हो या विपरीत परिस्थिति मे सीमा पर सड़क निर्माण की बात हो, कमांडर लूनीया खुद मौके पर ही सड़क मे खड़े दिखते थे। उनकी मेहनत का ही परिणाम था की बार्डर पर कोल्ड मिक्स तकनीकी से रिकॉर्ड समय मे डामरीकरण का कार्य पूरा हुआ और चार धाम यात्रा आपदा के बाद इतने कम समय मे पटरी पर लौट आई।
विगत मानसून मे जुलाई महीने मे ही रिकॉर्ड 600 एमएम वर्षा दर्ज की गयी। जबकि तीन वर्षो मे औसत 400 एमएम वर्षा ही अब तक रिकार्ड की गयी थी। उसके बाद भी चार धाम यात्रा मार्ग मे कोई बाधा नहीं आना उनकी नेतृत्व और कार्यकुशलता को ही दिखाता है।
‘आलवेदर रोड’ का काम एनजीटी मे रिट याचिका दायर होने के करण गति नहीं ले पाया। हालांकि गंगोरी गाड़ और स्वारी गाड़ के पुल के लिए उन्होने हर संभव स्तर पर सीमा से जुड़ा मामला बताकर पैरवी की। उनकी मेहनत रंग लायी और एनजीटी ने सीमा के लिए सड़क निर्माण मे सभी आपत्तियाँ दूर कर दी। किन्तु इस बीच अल्प समय मे ही उनका ट्रान्सफर कर दिया गया। गौरतलब है कि केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वर्ष 2018 से पूर्व ही ‘आलवेदर रोड’ को पूरा कर उसका उद्घघाटन प्रधान मंत्री मोदी से कराने का भरोसा गंगोत्री वासियों को दिया है। कमांडर सुभाष लूनीया के जाने के बाद उनके प्रतिस्थानी सुनील श्रीवास्तव के कंधों पर एक बड़ी चुनोती आन पड़ी है। टार्गेट की जो लंबी रेखा लूनीया खींच कर गए हैं,उनसे आग बढ़कर टार्गेट पूरे करने होंगे।उम्मीद है भारतीय सेना के जवानों को और चार धाम यात्रियों को नए कमांडर से और निराशा नहीं होगी।